
Non veg milk: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर चल रही बात अटकी हुई है। इसकी मुख्य बाधा अमेरिकी नॉन-वेज दूध है। भारत इसे आयात करने की अनुमति देने को तैयार नहीं। इसके चलते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूसी तेल आयात का बहाना बनाते हुए भारत से होने वाले आयात पर 50% टैरिफ लगा दिया। भारत अकेला ऐसा देश नहीं जिसने नॉन-वेज दूध के आयात से इनकार किया है। कनाडा इसपर 300% टैरिफ लगाता है। वहीं, साउथ कोरिया, स्विट्जरलैंड और आइसलैंड जैसे देश इसे आयात करने से रोकते हैं। आइए नॉन-वेज मिल्क के राज जानते हैं।
दूध को भारत में पवित्र माना जाता है। पूजा में इसका इस्तेमाल होता है। वहीं, अमेरिका में ऐसी कोई मान्यता नहीं है। गाय शाकाहारी जानवर है, लेकिन अमेरिका ने अधिक दूध की लालच में इसे मांसाहारी बना डाला है। वहां गाय को पशु-आधारित आहार दिया जाता है। गाय को चारा के साथ हड्डी का चूर्ण, मांस का चूर्ण, मछली का चूर्ण, पशु वसा और कभी-कभी खून तक दिया जाता है। ऐसा खाना खाने वाली गाय से निकलने वाले दूध को मांसाहारी दूध कहते हैं।
भारत ऐसे देशों से डेयरी प्रोडक्ट नहीं खरीदता जहां गाय को मांसाहार दिया जाता है। अगर इन देशों से डेयरी प्रोडक्ट भारत को निर्यात करना हो तो गाय को सिर्फ शाकाहारी खाना दिए जाने का सर्टिफिकेट जरूरी है।
अधिकांश वैज्ञानिक अध्ययनों में मांसाहारी दूध को पोषण की दृष्टि से सुरक्षित और नियमित दूध के समान पाया गया है। हालांकि सूक्ष्म स्तर पर थोड़ा अंतर हो सकता है।
लैब में टेस्ट कर पता लगाया जा सकता है कि कोई दूध नॉन वेज मिल्क है या नहीं। टेस्ट के दौरान पशु आहार से संबंधित मार्कर (जैसे फैटी एसिड प्रोफाइल) का पता लगाया जाता है, लेकिन यह जटिल है। हमेशा विश्वसनीय नहीं होता।
अमेरिकी डेयरी आयात के लिए रास्ता खोलने से भारतीय बाजार में सस्ते उत्पादों की बाढ़ आने का खतरा है। इससे भारत के 8 करोड़ दूध उत्पादकों की आय को नुकसान हो सकता है। विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर अमेरिकी डेयरी को प्रतिबंधों के बिना आयात की अनुमति दी जाती है तो भारत को सालाना 1.03 लाख करोड़ रुपए तक का नुकसान हो सकता है। भारत स्थानीय किसानों की रक्षा करने और मांसाहारी दूध को बाजार से बाहर रखने के लिए आयातित पनीर, मक्खन और दूध उत्पादों पर 60% तक टैरिफ लगाता है।