SCO के शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को लगाई फटकार, चीन पर की ये बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को SCO का शिखर सम्मेलन (SCO Summit) हुआ। आतंकियों को पनाह देने के लिए नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को फटकार लगाई। उन्होंने चीन से कहा कि सदस्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करें।

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार को SCO (Shanghai Cooperation Organisation) का शिखर सम्मेलन (SCO Summit) हुआ। वर्जुअल मोड में हुए सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ समेत अन्य सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष मौजूद रहे। शिखर सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान को फटकार लगाई। उन्होंने चीन से कहा कि सदस्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना आवश्यक है।

नरेंद्र मोदी ने कहा, "पिछले दो दशक में एससीओ पूरे एशियाई क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म के रूप में उभरा है। इस क्षेत्र के साथ भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और लोगों के लोगों के बीच संबंध हमारी विरासत का जिवंत प्रमाण हैं। हम इस क्षेत्र को परिवार की तरह देखते हैं।"

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पीएम मोदी ने कहा, "भारत ने एससीओ में सहयोग के पांच नए स्तंभ बनाए हैं। स्टार्टअप एंड इनोवेशन, ट्रेडिशनल मेडिसिन, यूथ एम्पॉवरमेंट, डिजिटल इंक्लूजन तथा शेयर्ड बुद्धिस्ट हेरिटेज। भारत का प्रयास रहा है कि एससीओ में सहयोग केवल सरकारों तक सीमित नहीं रहे, लोगों के बीच संपर्क और गहरा करने के लिए भारत की अध्यक्षता में नए पहल किए गए हैं।"

मुझे खुशी है कि ईरान एससीओ परिवार में जुड़ने जा रहा है

नरेंद्र मोदी ने कहा, "वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पराव पर है। विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में फूड, फ्यूल और फर्टिलाइजर संकट सभी देशों के लिए बड़ी चुनौती है। हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूप में हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या एससीओ एक ऐसा संगठन बन रहा है जो भविष्य के लिए पूरी तरह से तैयार हो। इस विषय में भारत एससीओ में सुधार का समर्थन करता है। यूएन सहित अन्य वैश्विक संस्थाओं में सुधार के लिए एससीओ एक महत्वपूर्ण आवाज बन सकता है। मुझे खुशी है कि आज ईरान एससीओ परिवार में नए सदस्य के रूप में जुड़ने जा रहा है।"

वैश्विक शांति के लिए खतरा है आतंकवाद, कुछ देश दे रहे आतंकवादियों को पनाह

प्रधानमंत्री ने कहा, "आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके खिलाफ मिलकर लड़ाई करनी होगी।"

पाकिस्तान का नाम लिए बिना पीएम ने कहा, "कुछ देश क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म को अपनी नीतियों के इंस्ट्रूमेंट के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना है। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। टेरर फाइनेंसिंग से निपटने के लिए हमें भी आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए। हमारे देशों के युवाओं के बीच रेडिकलाइजेशन के फैलाव को रोकने के लिए भी हमें और सक्रिय रूप से कदम उठाना चाहिए। रेडिकलाइजेशन के विषय में आज जारी की जा रही ज्वाइंट स्टेटमेंट हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।"

पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने के लिए नहीं हो अफगानिस्तान की भूमि का इस्तेमाल

पीएम मोदी ने कहा, "अफगानिस्तान की स्थिति का हम सभी की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा है। अफगानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश देशों के समान हैं। हमें अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए। अफगान नागरिकों को मानवीय सहायता, एक समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद और ड्रग्स तस्करी के खिलाफ लड़ाई तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं। भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने संबंध रहे हैं। पिछले दो दशक में हमने अफगानिस्तान की आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या कट्टर विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए उपयोग न की जाए।"

चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर पीएम मोदी ने कहा- संप्रभुता का सम्मान जरूरी

चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर को लेकर नरेंद्र मोदी ने कहा, "किसी भी क्षेत्र की प्रगति के लिए मजबूत कनेक्टिविटी का होना बहुत आवश्यक है। बेहतर कनेक्टिविटी आपसी व्यापार ही नहीं आपसी विश्वास भी बढ़ाती है, लेकिन इस प्रयास में एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांत विशेष रूप से सदस्य देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना बहुत ही आवश्यक है।" दरअसल, चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के गिलगित-बालिस्तान से होकर गुजरता है। भारत इसे अपना हिस्सा मानता है। इसके चलते भारत इस परियोजना का विरोध करता है।

एससीओ के शिखर सम्मेलन में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि पर बातचीत हुई। भारत की SCO अध्यक्षता की थीम SECURE है। इसमें S का मतलब सुरक्षा, E का मतलब आर्थिक विकास, C का मतलब कनेक्टिविटी, U का मतलब एकता, R का मतलब संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और E का मतलब पर्यावरण की रक्षा है।

शिखर सम्मेलन में एससीओ के सभी सदस्य देशों, चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। इसके अलावा, ईरान, बेलारूस और मंगोलिया को पर्यवेक्षक के रूप में आमंत्रित किया गया है। एससीओ परंपरा के अनुसार, तुर्कमेनिस्तान को भी अध्यक्ष के अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया।

गलवान की घटना के बाद से ठीक नहीं हैं भारत-चीन के रिश्ते

शिखर सम्मेलन का प्रमुख आकर्षण पाकिस्तान और चीन रहे। आतंकवादियों को पनाह देने के कारण विश्व स्तर पर अलग-थलग पड़ चुके पाकिस्तान ने इस शिखर सम्मेलन में भाग लिया। भारत और पाकिस्तान के रिश्ते लंबे वक्त से तनावपूर्ण हैं। दूसरी ओर 2020 में गलवान में चीनी सैनिकों द्वारा दिखाई गई आक्रामकता के बाद से भारत और चीन के रिश्ते भी ठीक नहीं हैं। सीमा पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती है। भारत ने कहा है कि जब तक सीमा पर शांति नहीं होती चीन के साथ सामान्य रिश्ते नहीं हो सकते।

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