बड़ी जीतः कतर जेल से रिहा 8 में से 7 पूर्व नौसैनिक पहुंचे भारत, कहा- PM मोदी के बिना ये संभव नहीं था

भारतीय नौसेना के आठ दिग्गजों को रिहा कर दिया गया है, जिनकी कतर में मौत की सजा को बदलकर बढ़ा दिया गया था।

कतर। भारतीय नौसेना के आठ दिग्गजों को रिहा कर दिया गया है, जिनकी कतर में मौत की सजा को बदलकर बढ़ा दिया गया था। सरकार ने बड़े फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि उनमें से सात पहले ही भारत वापस आ चुके हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए डहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है। उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं। हम कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं ताकि उन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी सक्षम बनाया जा सका।

सरकार ने आज यानी सोमवार (12 फरवरी) की सुबह कहा कि कतर में मौत की सजा को जेल की सजा में तब्दील करने वाले भारतीय नौसेना के आठ दिग्गजों को रिहा कर दिया गया है। उनमें से सात मध्य-पूर्व देश में 18 महीने जेल में रहने के बाद पहले ही भारत वापस आ चुके हैं। कतर से लौटने पर नौसेना के एक अनुभवी ने कहा, "हम बहुत खुश हैं कि हम सुरक्षित रूप से भारत वापस आ गए हैं। निश्चित रूप से, हम पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहेंगे क्योंकि यह केवल उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप के कारण संभव हो सका।" भारत पहुंचने पर लोगों ने भारत माता की जय के नारे लगाए।

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PM मोदी के हस्तक्षेप के बिना संभव नहीं

कतर से वापस लौटने वाले एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि PM मोदी के हस्तक्षेप के बिना हमारे लिए यहां खड़ा होना संभव नहीं था। और यह भारत सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण भी हुआ। हमने भारत वापस आने के लिए लगभग 18 महीने तक इंतजार किया। हम पीएम के बेहद आभारी हैं। यह उनके व्यक्तिगत हस्तक्षेप और कतर के साथ उनके समीकरण के बिना संभव नहीं होता। हम भारत सरकार के आभारी हैं।

पूर्व नौसैनिक कब हुए थे गिरफ्तार

बता दें कि अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजी और कंसल्टेंसी सर्विसेज के साथ मिलकर काम करने वाले भारत के पूर्व नौसैनिकों को साल 2022 अगस्त में भ्रष्टाचार और जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, इस मामले पर भारतीय सरकार ने गंभीरता से ध्यान दिया और उन्हें हर तरह की कानूनी मदद प्रदान की। वहीं नौसैनिकों को साल 2023 में 26 अक्टूबर को मौत की सजा सुना दी गई थी। हालांकि, भारत सरकार के कूटनीति की वजह से मौत की सजा को बदलकर जेल की सजा कर दी गई थी।

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