भारतीय नौसेना ने गुलामी की एक और प्रथा को किया खत्म, अब लाठी लेकर चलने की अनिवार्यता हुई समाप्त

Published : Jul 29, 2023, 06:04 PM ISTUpdated : Jul 29, 2023, 11:17 PM IST
Indian Navy

सार

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि अमृत काल में बदली हुई नौसेना में औपनिवेशिक विरासत की कोई जगह नहीं है।

Indian Navy ended one more colonial legacy: भारतीय नौसेना ने अपने एक और औपनिवेशिक विरासत को खत्म कर दिया है। इंडियन नेवी ने अपने सभी कर्मियों को लाठी ले जाने की प्रथा को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का ऐलान किया है। सरकार के निर्देश पर लिए गए इस निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि अमृत काल में बदली हुई नौसेना में औपनिवेशिक विरासत की कोई जगह नहीं है।

Navy ने बदलाव की बताई वजह

नौसेना ने बदलाव के बारे में जानकारी देते हुए कहा: समय बीतने के साथ, नौसेना कर्मियों द्वारा डंडे ले जाना एक आदर्श बन गया है। डंडे को पकड़कर गर्म किए जाने वाले अधिकार या पावर पॉट का प्रतीकवाद एक औपनिवेशिक विरासत है जो अमृत काल की परिवर्तित नौसेना में जगह से बाहर है। प्रोवोस्ट सहित सभी कर्मियों द्वारा लाठी ले जाना तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है।

भारतीय नौसेना ने शनिवार को अपने सभी कर्मियों द्वारा लाठी ले जाना तत्काल प्रभाव से बंद करने की घोषणा करने के साथ नया निर्देश भी जारी किया है। इसके तहत अब हर यूनिट के लिए संगठन के प्रमुख के कार्यालय में एक औपचारिक बैटन रखना अनिवार्य किया गया है। नौसेना के बयान के अनुसार, कमान प्रक्रिया में बदलाव के हिस्से के रूप में बैटन का औपचारिक हस्तांतरण केवल कार्यालय परिसर के भीतर ही किया जा सकता है।

बीते साल नौसेना के झंड़े में बदलाव

2022 में नौसेना के प्रतीक ध्वज में बदलाव किया गया था। अशोक स्तंभ के नीचे सत्यमेव जयते को 2 सितंबर को जोड़ा गया था। शिवाजी महाराज के चिह्न, उसके अंदर बने लंगर और उस पर बने अशोक स्तंभ को नीले बैकग्राउंड पर सुनहरा रंग दिया गया। लंगर के नीचे 'शं नो वरुणः' लिखा है। इस पूरे चिह्न को सुनहरे रंगे के दो बॉर्डर से घेरकर मुहर जैसा लुक दिया गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस नए ध्वज का अनावरण किया था।

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