
Indian Railways Sanitary Pads Facility: भारतीय रेलवे में हर रोज़ लाखों यात्री सफर करते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए सैनिटरी पैड जैसी बुनियादी सुविधा आज भी उपलब्ध नहीं है। हाल ही में एक महिला यात्री का अनुभव इस बात का सबूत है कि पीरियड्स जैसी आपात स्थिति में महिलाएं किस तरह असहाय महसूस करती हैं। यह एक ऐसा विषय जिसे 2025 में भी गंभीरता से चर्चा की जरूरत है। आधी रात के ट्रेन सफर में अचानक शुरू हुए पीरियड्स ने उस महिला को ऐसी परेशानी में डाल दिया, जिसे सोचकर भी सिहरन होती है। सवाल यह है कि जहां ट्रेन में पानी की बोतल, स्नैक्स और दवाइयां आसानी से मिल जाती हैं, वहां सैनिटरी पैड जैसी मेंस्ट्रुअल हाइजीन (Menstrual Hygiene) की जरूरी सुविधा क्यों नहीं है?
एक महिला यात्री ने हाल ही में ट्रेन यात्रा के दौरान आधी रात को अचानक पीरियड्स आने की घटना साझा की। उनके पास सैनिटरी पैड नहीं था, और IRCTC स्टाफ से मदद मांगने पर उन्हें निराशाजनक जवाब मिला-"दुकान बंद हो चुकी है, सुबह ही मिलेगा।" सोचिए, इस आधुनिक दौर में भी महिलाएं ऐसी आपातकालीन स्थिति में बेसहारा रह जाती हैं। यह अनुभव एक दर्दनाक हकीकत को उजागर करता है-ट्रेन यात्रा में मेंस्ट्रुअल प्रोडक्टस की उपलब्धता (Menstrual Products Availability) अभी भी सपना है।
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भारतीय रेलवे में जहां खाना, पानी और दवाइयां आसानी से उपलब्ध कराई जाती हैं, वहां सेनेटरी पैड (Sanitary Pads in Indian Railways) को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई।
वुमेन ट्रवेल सेफ्टी इन इंडिया (Women Travel Safety in India) और मेंस्ट्रुअल हेल्थ अवेयरनेस (Menstrual Health Awareness) पर कई अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर बदलाव नदारद है।
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