SARS-Cov-2 और टीबी के संबंधों पर रिसर्च: भारतीय वैज्ञानिक ब्रिक्स समूह से मिलकर देंगे कोरोना को मात

केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस पर रिसर्च की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। भारत जीनोमिक निगरानी स्थापित करने और SARS-Cov-2 और टीबी के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए ब्रिक्स समूह के साथ एक संयुक्त उद्यम में काम करने की योजना बना रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Aug 23, 2021 1:48 PM IST

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस (corona virus) पर रिसर्च की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। भारत जीनोमिक निगरानी स्थापित करने और SARS-Cov-2 और टीबी के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए ब्रिक्स समूह के साथ एक संयुक्त उद्यम में काम करने की योजना बना रहा है।
अब भारतीय वैज्ञानिक चीन, ब्राजील, रूस और दक्षिण अफ्रीका के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करेंगे। सभी देश सूचनाओं का आदान प्रदान कर सकेंगे जिससे रिसर्च में सहूलियत होगी। यह जानकारी विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने दी है।  इसके लिए ब्रिक्स देशों से सहयोग मांगा गया था। 

ब्रिक्स देश कई प्रभावों का अध्ययन कर रहे 

एनएसजी-ब्रिक्स (NSG-BRICS) कंसोर्टियम ने टीबी रोगियों (Tuberculosis) पर कोरोनावायरस के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं। ब्रिक्स देश भारतीय वैज्ञानिकों के साथ मिलकर कोरोनवायरस पर प्रासंगिक ज्ञान और स्वास्थ्य परिणामों पर आगे के शोध के लिए सहयोग करेंगे। जीनोमिक डेटा के विश्लेषण में तेजी लाएगा। यह उन्नत तकनीक के माध्यम से नैदानिक और सार्वजनिक सहायता अनुसंधान, नैदानिक और निगरानी करने में सक्षम होगा। कोरोनावायरस संक्रमण को ट्रैक करने के लिए जैव सूचना विज्ञान उपकरण का उपयोग भविष्य के नैदानिक परखों में किया जाएगा।

भारतीय टीम में ये लोग हैं शामिल

भारतीय टीम में नेशनल बायोमेडिकल जीनोमिक्स इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर अरिंदम मैत्रा, प्रोफेसर सौमित्र दास और डॉक्टर निधि के बिस्वास शामिल हैं। सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोस्टिक्स (CFDFD) के डॉ अश्विन दलाल और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के डॉ मोहित जे जॉली भी शामिल हैं। अध्ययन में ब्राजील, चीन और रूस के वैज्ञानिक भी हिस्सा लेंगे।

भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ता टीबी के रोगियों में क्षणिक रेडियल इम्यूनोसप्रेशन और हाइपरइन्फ्लेमेशन पर कोरोनावायरस के प्रभावों का भी अध्ययन करेंगे। बायोटेक्नोलॉजी विभाग (Biotechnology Department) की डॉक्टर रेणु स्वरूप ने कहा कि यह ब्रिक्स देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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