भारत अनेक रहस्यों का देश है. कुछ गाँव विचित्र इतिहास समेटे हुए हैं. उदाहरण के लिए, केरल के कुछ गांवों में जादूगर अधिक हैं. कहा जाता है कि कोल्लेगल में बहुत से तांत्रिक रहते हैं. लेकिन क्या आपने भारत की ब्लैक मैजिक राजधानी के नाम से कुख्यात इस गांव के बारे में सुना है? असम में स्थित इस गांव का नाम मायोंग है. कहते हैं कि यहां का इतिहास जानने वाले, आसपास के लोग यहां जाने से भी डरते हैं.
भारत की ब्लैक मैजिक राजधानी कहा जाने वाला यह गांव असम का मायोंग है. कहा जाता है कि यहां घर-घर में एक तांत्रिक, जादूगर रहता है. यहां तांत्रिक महिलाएं भी हैं. आसपास के गांवों के लोग यहां की विधवाओं को भी शक की नजर से देखते हैं. यहां की पुरानी लोक कथाएं भी भूत-प्रेतों से भरी हुई हैं. लोगों का गायब हो जाना, किसी और रूप में प्रकट होना, पुरुषों को मोहिनी का डर, स्त्रियों को गंधर्व-पिशाच का साया, ऐसी अनेक कहानियां यहां प्रचलित हैं. सदियों से यहां तंत्र-मंत्र और अलौकिक क्रियाकलापों का चलन रहा है. शक्ति देवताओं की पूजा, बलि देना यहां आम बात है. कहते हैं कि यहां होने वाले काले जादू के लिए नरबलि भी दी जाती है. आसपास के गांवों में अगर कोई गायब हो जाता है या रहस्यमय तरीके से उसकी लाश मिलती है, तो कहा जाता है कि वह यहाँ तंत्र-मंत्र के लिए बलि चढ़ गया.
कहानी के मुताबिक महाभारत का राक्षस हिडिम्बा और भीम के पुत्र घटोत्कच इसी गांव का रहने वाला था. यहां हुए एक विचित्र गुमशुदगी का मामला 1330 के दशक का है. कहते हैं कि तब मुगल शासक मुहम्मद बिन तुगलक की 1,00,000 सैनिकों की एक टुकड़ी इस गांव के पास जंगल में गायब हो गई थी. एक भी सैनिक का पता नहीं चला. औरंगजेब के शासनकाल का वृतांत 'अलंजीरनामा' में, दरबारी इतिहासकार मिर्जा मुहम्मद काजिम लिखते हैं कि जब उन्होंने असम में अहोम साम्राज्य को हराया था, तब यहां के नायक राम सिंह अहोम सेना से ज्यादा मायोंग के काले जादू से डरते थे.
यहां हस्तरेखा देखकर भविष्य बताने वाले, ज्योतिषी बहुत हैं. यहां के कई वैद्य बिना दवा के मरीजों का 'इलाज' करते हैं. कहा जाता है कि ये लोग सीधे तौर पर भूत-प्रेतों की मदद लेते हैं. भूत-प्रेत आकर इनके कान में मरीज की बीमारी बताते हैं. मरीज के दर्द को कम करने के लिए ये वैद्य तांबे की प्लेटों का इस्तेमाल करते हैं. कहते हैं कि यहां निर्जीव वस्तुओं का अस्वाभाविक रूप से हिलना-डुलना सामान्य माना जाता है. इसे अदृश्य शक्तियों के संदेश का संकेत माना जाता है.
हाल के दिनों में यहां काला जादू करने वालों की तादाद धीरे-धीरे कम होती जा रही है. लेकिन इस पर विश्वास अभी भी कायम है. काफी संख्या में लोग जादू-टोने से जुड़े कलात्मक शिल्प में रुचि ले रहे हैं. इससे मायोंग में पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है. मायोंग एक तरह से संग्रहालय बनता जा रहा है. मायोंग सेंट्रल म्यूजियम और एम्पोरियम में यहां के कुछ पुराने हथियार, उपकरण, तांत्रिक ग्रंथ आदि प्रदर्शित किए गए हैं.
अगर आपको अलौकिक और विचित्र कहानियों में रुचि है, जादू-टोने के बारे में जानने की इच्छा है, तो आप मायोंग की यात्रा कर सकते हैं. मायोंग गांव पूर्वोत्तर असम की अद्भुत और मनोरम वादियों में बसा हुआ है.