इसरो ने सोमवार दोपहर ट्वीट कर कहा कि रोवर ने किनारे से तीन मीटर की दूरी पर गड्ढा देखा है और उसे सुरक्षित रास्ते पर भेज दिया गया है।
नई दिल्ली: चंद्रमा की सतह पर बड़े-बड़े गड्ढे, चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर को स्वतंत्र घूमने में बाधा पहुंचा रहा है। प्रज्ञान रोवर के चांद पर टहलते समय सामने चार मीटर बड़ा गड्ढा आने के बाद उसे सुरक्षित वापस भेज दिया गया। इसरो ने सोमवार दोपहर ट्वीट कर कहा कि रोवर ने किनारे से तीन मीटर की दूरी पर गड्ढा देखा है और उसे सुरक्षित रास्ते पर भेज दिया गया है।
प्रज्ञान रोवर एक चंद्र दिवस तक चांद पर घूमेगा
चंद्रयान-3 प्रज्ञान रोवर चांद पर एक चंद्र दिवस तक उसकी सतह पर दक्षिण ध्रुव का अधिकतम एरिया कवर करने की कोशिश करेगा। दरअसल, चंद्रमा का एक दिन भारत के 14 दिनों के बराबर है। धरती के समयानुसार, अब उसके पास 9 दिन और बचे हैं। स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-3 का रोवर मॉड्यूल प्रज्ञान, चंद्रमा की सतह पर घूम रहा है। यह दौड़ समय के विरुद्ध है। इसरो वैज्ञानिकों को इस छह पहिये वाले रोवर से अधिकतम दूरी तय करानी है ताकि अधिकतम रिसर्च मटेरियल मिल सके।
चांद की सतह पर उफ्फ इतनी गर्मी...
ChaSTE यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक चंद्रमा के साउथ पोल की सतह से 10 सेंटीमीटर की गहराई पर तापमान 50 से 60 डिग्री सेल्सियस के बीच है। सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। जबकि 80mm की गहराई में माइनस 10°C टेम्परेचर रिकॉर्ड किया गया। चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे (ChaSTE) पेलोड में दस सेंसर लगे हुए हैं। यह 10 सेंटीमीटर गहराई तक का टेंपरेचर ले सकते हैं। जानिए मनुष्य के रहने के लिए कैसा है चंद्रमा का माहौल…
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर लैंडिंग 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर हुई थी। बुधवार को चंद्रयान 3 की लैंडिंग कराकर भारत ने इतिहास रच दिया था। साउथ पोल पर स्पेसक्रॉफ्ट उतारने वाला पहला देश भारत बन गया है।
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