एक गलत धारणा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों की जगह ले लेगा। इंसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इसकी जगह नहीं लेने देंगे क्योंकि इंसानों के पास दिमाग की शक्ति है।
नई दिल्ली: इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने देश की राजधानी को सबसे अनुशासनहीन शहर बताया है। उन्होंने कहा कि वह दिल्ली आने में असहज महसूस करते हैं क्योंकि यहां यातायात नियमों का कोई पालन करना नहीं चाहता है। यहां अनुशासनहीनता सबसे अधिक है। नारायणमूर्ति, इंग्लैंड के पीएम ऋषि सुनक के ससुर भी हैं।
सामुदायिक संपत्ति को बेहतर मानना चाहिए...
ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के स्थापना दिवस में शिरकत करने के लिए इंफोसिस संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति दिल्ली पहुंचे थे। फाउंडेशन डे को संबोधित करते हुए नारायण मूर्ति ने कहा कि मैं वास्तव में दिल्ली आने में बहुत असहज महसूस करता हूं, यह एक ऐसा शहर है जहां अनुशासनहीनता सबसे ज्यादा है। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। मैं कल हवाई अड्डे से आया था। एक लाल सिग्नल पर बहुत सारी कारें, मोटरबाइक और स्कूट थीं लेकिन बिना परवाह किए लोग लाल बत्ती का उल्लंघन करते रहे। यह नहीं समझ रहे थे कि उनकी अनुशासनहीनता से दूसरों को परेशानी हो सकती है। मूर्ति ने कहा, 'अगर हम आगे बढ़ने के लिए एक या दो मिनट भी इंतजार नहीं कर सकते हैं। क्या आपको लगता है कि पैसा होने पर वे लोग इंतजार करेंगे? बेशक वे इंतजार नहीं करेंगे।'
कॉरपोरेट जगत में सही मूल्यों के निर्माण पर जोर दिया जाना चाहिए
नारायण मूर्ति ने कहा कि कॉर्पोरेट जगत में सही मूल्य के निर्माण पर जोर देना चाहिए। हमें अपने बच्चों को इन चीजों को छोटे क्षेत्रों में प्रदर्शित करना सिखाना शुरू करना चाहिए। उन क्षेत्रों में जहां छोटे रिटर्न हैं। अधिक रिटर्न के चक्कर में पड़ने का विरोध करना चाहिए ताकि वह सही रास्ते पर चलने की आदत डालें।
कारपोरेट गवर्नेंस का पहला पाठ शिक्षक से सीखा
इंफोसिस के संस्थापक ने कहा कि उन्होंने कॉरपोरेट गवर्नेंस का पहला पाठ अपने शिक्षक से सीखा। मूर्ति ने कहा कि आपको सामुदायिक संपत्ति को अपनी निजी संपत्ति से बेहतर मानना चाहिए। सार्वजनिक प्रशासन प्रणाली में बेईमानी के सभी मुद्दे आते हैं क्योंकि वे इस सिद्धांत का पालन नहीं करते हैं। यह पूछे जाने पर कि उन्हें किस तरह के व्यक्तित्व के लिए जाना जाना चाहिए, मूर्ति ने कहा कि वह भारतीय बोलचाल में एक अच्छे व्यक्ति के बजाय एक निष्पक्ष व्यक्ति के रूप में पहचाने जाना पसंद करेंगे।
मैं व्यक्ति से नहीं बल्कि उसके कृत्य से नफरत करता
नारायणमूर्ति ने कहा कि मैं भारतीय बोलचाल में एक अच्छे व्यक्ति के रूप में नहीं जाना चाहता। भारत में यदि आप एक अच्छे व्यक्ति हैं तो इसका मतलब यह है कि भले ही कोई चोरी कर रहा हो, आप शांत रहें और मुस्कुराएं। लेकिन मैं खड़ा हो जाऊंगा और सम्मानपूर्वक टिप्पणी करुंगा, अगर यह उचित नहीं है। हालांकि, मैं एक निष्पक्ष व्यक्ति के रूप में जाना जाना चाहता हूं। मूर्ति ने कहा कि वह किसी व्यक्ति से नहीं बल्कि उसके कृत्य से नफरत करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी पहचान एक ऐसे शख्स के रूप में बनाना चाहता हूं जिसने निष्पक्ष रहने की पूरी कोशिश की।
चैटजीपीटी जैसे उपकरणों के साथ प्रौद्योगिकी के भविष्य के बारे में बात करते हुए मूर्ति ने कहा कि विज्ञान प्रकृति को प्रकट करने के बारे में है जबकि प्रौद्योगिकी मनुष्य के जीवन को अधिक आरामदायक बनाने, उत्पादकता में सुधार करने, लागत कम करने, समस्याओं को हल करने आदि के लिए विज्ञान की शक्ति का उपयोग करने के बारे में है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने सहायक तकनीक बनकर हमारे जीवन को और अधिक आरामदायक बना दिया है। मुझे लगता है कि एक गलत धारणा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों की जगह ले लेगा। इंसान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को इसकी जगह नहीं लेने देंगे क्योंकि इंसानों के पास दिमाग की शक्ति है। उन्होंने कहा कि मानव मन हमेशा एक कदम आगे रहता है।
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