ओडिशा का 'सुपर 30', कभी गरीबी के चलते छोड़ी थी पढ़ाई, अब ऐसे ही बच्चों के सपनों को दे रहा उड़ान

 बिहार में आनंद कुमार के ओडिशा का सुपर 30  की तरह ही एक पहल ओडिशा में भी हुई। लेकिन यहां इंजीनियरिंग के बजाय मेडिकल की तैयारी कराई जाती है। 'जिन्दगी' नाम की इस पहल के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के सपनों को पूरा कराया जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 12, 2019 7:43 AM IST

भुवनेश्वर. बिहार में आनंद कुमार के ओडिशा का सुपर 30  की तरह ही एक पहल ओडिशा में भी हुई। लेकिन यहां इंजीनियरिंग के बजाय मेडिकल की तैयारी कराई जाती है। 'जिन्दगी' नाम की इस पहल के तहत आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के सपनों को पूरा कराया जाता है।

एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित इस अद्भुत कार्यक्रम के तहत मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कराने के लिए सब्जी विक्रेताओं, मछुआरों और गरीब किसानों जैसे समाज में हाशिए पर पड़े लोगों के बच्चों को चुना जाता है।

Latest Videos

कभी परिवार का पेट भरने के लिए बेचते थे चाय
इस पहल को शुरू करने की कहानी के पीछे जो शख्स है, उनका नाम है- अजय बहादुर सिंह। उन्हें अपने परिवार की आर्थिक तंगी के कारण अपनी मेडिकल की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी और परिवार का पेट भरने के लिए चाय और शर्बत बेचना पड़ा था।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में वर्ष 2016 में शुरू किया गया जिंदगी कार्यक्रम वर्तमान में 19 मेधावी छात्रों को मेडिकल की तैयारी करवा रहा है, जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आए हुए हैं, जिनमें लड़के और लड़कियां दोनों शामिल हैं।

इस कार्यक्रम के तहत, एक राज्य स्तरीय परीक्षा के माध्यम से गरीब पृष्ठभूमि के चयनित प्रतिभाशाली छात्रों को डॉक्टर बनने में मदद करने के लिए शिक्षा दी जाती है, जिन्हें मुफ्त भोजन, आवास और अन्य तमाम सुविधाएं प्रदान की जाती है।

मुख्यमंत्री ने किया था सम्मानित
इसके चौदह छात्रों ने 2018 में नीट में सफलता पायी थी, जिनमें से 12 को ओडिशा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिला है, जिनकी उपलब्धियों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने जुलाई में उन्हें सम्मानित किया था।

एजेंसी के एक रिपोर्टर ने इस सप्ताह की शुरुआत में जिंदगी फाउंडेशन की कक्षा देखी, वहां का माहौल देखा, विद्यार्थियों के साथ बातचीत की, जिनमें से कुछ सब्जी विक्रेताओं, दिहाड़ी मजदूरों, मछुआरों और गरीब किसानों के बच्चे थे, जिन्होंने सपने में भी कभी डॉक्टर बनने के बारे में नहीं सोचा था, जिसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मेडिकल की तैयारी में अमूमन काफी पैसे खर्च होते हैं और महंगी कोचिंग लेनी पड़ती है।

इन बच्चों में अंगुल जिले के एक गरीब किसान की बेटी क्षीरोदिनी साहू, कोरापुट के एक मजदूर की बेटी रेखा रानी बाग, भद्रक जिले के एक ट्रक ड्राइवर के बेटे स्मृति रंजन सेनापति, पानागढ़ के एक सब्जी विक्रेता के बेटे सत्यजीत साहू और पूर्वी मलकानगिरी के एक मछुआरे के बेटे मंजीत बाला हैं, जो अपने सपने को पंख देने में लगे हुए हैं। ये बच्चे दिन-रात कड़ी मेहनत कर अपनी बाधाओं को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

बच्चों में कुछ बड़ा करने का आत्मविश्वास इतना प्रबल है कि उनकी गरीबी भी उनके मार्ग में बाधा पैदा नहीं कर सकती।

'हम क्यों नहीं बन सकते डॉक्टर'
उनके हौसलों की एक बानगी खुर्दा जिले के एक छोटे से किसान की बेटी शुभलक्ष्मी साहू के जज्बे में दिखती है, जिसका मानना है, ''जब एक चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) बन सकता है तो हम डॉक्टर क्यों नहीं बन सकते?''

उनके शिक्षक- मुकुल कुमार, मानस कुमार नायक और दुर्गा प्रसाद का कहना है कि इन बच्चों के लिए करो या मरो की स्थिति है, या तो मेडिकल परीक्षाओं को पास कर एक सुनहरे भविष्य की ओर कदम बढ़ाएं या अपने उसी अभावग्रस्त जीवन में लौट जाएं।

छात्रावास में रहते हैं बच्चे
जिंदगी कार्यक्रम के समन्वयक ज़ाहिद अख्तर ने कहा कि लड़कों और लड़कियों को संगठन द्वारा संचालित अलग-अलग छात्रावासों में रखा जाता है जहाँ उन्हें सादा लेकिन पौष्टिक भोजन मुफ्त में मिलता है।

जिंदगी फाउंडेशन के वरिष्ठ समन्वयक शिवेन सिंह चौधरी ने कहा कि इसका एक साल का कार्यक्रम होता है, जो जुलाई के पहले सप्ताह में प्रवेश की औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद शुरू होता है।

उन्होंने कहा कि इसमें आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों का ही चयन किया जाता है क्योंकि परियोजना का उद्देश्य दुनिया में गरीब परिवारों को आगे बढ़ाने में मदद करना है।

यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने कंटेंट में कोई बदलाव नहीं किया है

Share this article
click me!

Latest Videos

जम्मू में PM मोदी का जोरदार भाषण, कहा और तेज होंगे विकास के काम
बंगाल में फिर हड़ताल पर जाने की तैयारी में डॉक्टर, जानें क्या है नया मामला । Kolkata Doctor Case
Bihar Flood: तबाही मचाने को तैयार सैलाब, 56 साल बाद इतने खतरनाक रूप में आई कोसी
शर्म नहीं आती, बाहर आओ...जबरदस्त एक्शन में IAS टीना डाबी-वीडियो वायरल
देश के लिए मर-मिटने वालों का सम्मान नहीं कर सकती कांग्रेस # shorts