Nuh Violence: दंगे के दौरान मजिस्ट्रेट और उनकी 8 साल की बेटी को कैसे बचाया गया? प्रेरक स्टोरी

हरियाणा के नूंह में जब हिंसा फैली तो मेवात कोर्ट के एक वकील ने मजिस्ट्रेट और उनकी 8 साल की बेटी की जान बचाने के लिए खुद की जान जोखिम में डाल दी। जैसे ही उस वकील को जानकारी मिली, उन्होंने बिना संकोच और बिना देर किए वह काम किया।

 

Inspiring Story Of Nuh Riots. मेवात कोर्ट के वकील और सोशल वर्कर रमजान चौधरी वह व्यक्ति हैं, जिन्होंने नूंह दंगे के दौरान मजिस्ट्रेट और उनकी 8 साल की बेटी की जान बचाई। अब भी उस वक्त का मंजर बताते हुए रमजान कांपने लगते हैं। वे बताते हैं कि कोर्ट के दौरान दोपहर करीब 1 बजकर 35 मिनट पर अचानक जिला सत्र न्यायाधीश सुशील गर्ग कोर्ट छोड़कर अपने कमरे में चले जाते हैं। वहीं कोर्ट का प्यून ड्राइवर से कार बाहर निकालने को कहने के लिए भागा। कुछ देर बाद वह रमजान के पास पहुंचा और बोला कि जज साहब बुला रहे हैं।

उस वक्त क्या था जिला सत्र न्यायाधीश का हाल

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डीजे के चैंबर में पहुंचने पर रमजान चौधरी ने देखा कि जिला सत्र न्यायाधीश काफी परेशान दिख रहे हैं और उनके माथे पर झुर्रियां हैं। रमजान चौधरी को देखते ही उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट अंजलि जैन अपनी आठ साल की बेटी के साथ नलहर अस्पताल में दवा लेने गई थीं। दंगाइयों ने उन्हें बंधक बनाने की कोशिश की है। मजिस्ट्रेट अपनी बेटी के साथ किसी तरह भागकर रोडवेज वर्कशॉप में छिप गईं हैं। उन्होंने रमजान से मदद मांगी। यह सुनते ही रमजान चौधरी के हाथ-पैर सुन्न हो गए। सोचते-सोचते उन्हें याद आया कि उसका दोस्त जुबैर वर्कशॉप के पास ही रहता है। उसके घर और वर्कशॉप की दीवारें बिल्कुल सटी हुई हैं। चौधरी ने तुरंत अपने दोस्त से बात की और स्थिति बताई। साथ ही उनसे मजिस्ट्रेट अंजलि जैन और उनकी बेटी को वर्कशाप से छुड़ाने का आग्रह भी किया।

दोस्तों ने की मदद से रमजान ने बचाया

इतना सुनते ही रमजान चौधरी का दोस्त जुबैर तुरंत चार-छह लोगों के साथ उसकी छत पर पहुंच गया। उन्होंने मजिस्ट्रेट अंजलि जैन से संपर्क करने की कोशिश की और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने जोर से पुकारा कि आप सुरक्षित हैं। हम आपका ख्याल रखेंगे। इसके बाद जुबैर ने वर्कशॉप के नीचे एक लंबी लकड़ी की सीढ़ी लगा दी ताकि मजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी बेटी और उनका पीएसओ सुरक्षित बाहर आ सकें। उस वक्त शहर का पूरा माहौल अशांत था। चारों ओर आगजनी और हिंसा हो रही थी। अंजलि जैन को उन पर भरोसा नहीं हो रहा था। वह उन पर भरोसा करने से पहले अपने पीएसओ के मोबाइल के माध्यम से जिला कोर्ट से बात करना चाहती थी। लेकिन नेटवर्क खराब होने के कारण फोन कनेक्ट नहीं हुआ और उन्होंने जुबैर की छत पर पहुंचने के लिए सीढ़ी चढ़ने से इनकार कर दिया।

कैसे हुआ मजिस्ट्रेट व उनकी बेटी का रेस्क्यू

रमजान चौधरी ने बताया कि उसके दोस्त जुबैर ने उसे फोन पर सारी बात बताई। उन्होंने फोन पर जिला सत्र न्यायाधीश गर्ग साहब को पूरी घटना की जानकारी दी। यह सुनकर जिला सत्र न्यायाधीश ने उनसे उन्हें बचाने के लिए खुद ही वहां जाने का आग्रह किया। चौधरी बताते हैं कि जब वह निकले तो देखा कि स्थिति बहुत भयानक थी, वहां से निकलना सबसे कठिन चुनौती थी। इसके बावजूद वह अपनी कार से रोडवेज वर्कशॉप की ओर बढ़े। पूरा शहर दंगाइयों के कब्जे में था। सड़कों पर गाड़ियां जल रही थीं। वहां कोई पुलिसकर्मी नजर नहीं आया। जैसे ही वह सब कुछ झेलते हुए आगे बढ़े तो देखा कि कुछ लोग उनकी कार के पास लाठी-डंडे लेकर आ रहे हैं। उन्होंने चौधरी से तुरंत लौटने को कहा। वहां उनकी दंगाइयों से बहस हो गई। उन्होंने कहा कि उनके बेहद आक्रामक रवैये को देखकर उन्हें भी यह अहसास हो गया था कि शायद वह खुद भी जिंदा घर नहीं लौट सकेंगे।

भीड़ में से किसी ने रमजान को पहचाना

रमजान बताते हैं कि सौभाग्य से भीड़ में से किसी ने उसे पहचान लिया और आगे जाने दिया। चौधरी ने बताया कि जब वह वर्कशॉप के पास पहुंचे तो उन्होंने वहां अपने सामने एक और हिंसक भीड़ देखी। इसी दौरान उसका दोस्त जुबैर भी अपने कुछ पड़ोसियों के साथ वहां खड़ा मिला। रमजान उसके साथ वर्कशॉप के अंदर चले गए। उन्होंने मजिस्ट्रेट अंजलि जैन और उनकी बेटी से मुलाकात की और उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया। फिर उन्होंने उनकी बात जिला सत्र न्यायाधीश से फोन पर कराई। अंजलि जैन को यकीन हो गया कि वे सुरक्षित हाथों में हैं। उन तीनों को सीढ़ी के जरिए जुबैर की छत पर लाया गया। फिर गलियों से घुमाते हुए वकील मुजीब के घर पहुंचाया।

खुद गाड़ी चलाकर मजिस्ट्रेट को घर पहुंचाया

रमजान ने बताया कि वकील के घर पर मजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी 8 साल की बेटी और उनके पीएसओ को पानी दिया गया। इस बीच एडीजी ममता सिंह को फोन पर सारी जानकारी दी गई। ममता सिंह से बातचीत के दौरान अंजलि जैन ने बताया कि कैसे रमजान चौधरी और उनके वकील साथियों ने उनकी और उनकी बेटी की जान बचाई। अगर वे आगे नहीं आते तो उनका बचना मुश्किल होता। इसके बाद मजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी बेटी और उनके पीएसओ को गाड़ी में बैठाया गया। रमजान चौधरी ने खुद ड्राइविंग सीट संभाली और उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाया। चौधरी याद करते हैं कि वह दिन मेवात के लिए अब तक का सबसे बुरा दिन था। उन्हें इस बात का अफसोस है कि जिन लोगों ने उनकी जान बचाने में उनकी मदद की, उनके घर भी बुलडोजर से गिरा दिए गए। उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट अंजलि जैन ने इस घटना के संबंध में प्राथमिकी दर्ज की है, जिसमें उन्होंने लोगों की जान बचाने में वकीलों की भूमिका का उल्लेख किया है।

साभार- आवाज द वॉयस

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