अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के अवसर पर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने 15 फीट लंबी रेत की कलाकृति बनाई है। इसमें बाघ को बचाने का संदेश दिया गया है।
नई दिल्ली। 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस (International Tiger Day) के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर मशहूर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने 15 फीट लंबी रेत की कलाकृति बनाई है। इसमें बाघ को बचाने का संदेश दिया गया है।
बाघ दिवस मनाने का उद्देश्य आम लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाना है ताकि इसे लुप्त होने से बचाया जा सके। शनिवार को 13वां इंटरनेशनल टाइगर डे है। इंटरनेशनल टाइगर डे 2010 से मनाया जा रहा है। बाघों की रक्षा को लेकर 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में टाइगर शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें भारत, रूस और चीन सहित कई देशों ने बाघों की रक्षा करने का संकल्प लिया था। बाघ की आबादी वाले 13 देशों ने 2022 तक बाधों की संख्या दोगुना करने का लक्ष्य रखा था।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस का महत्व
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस को बाघों के संरक्षण के लिए मनाया जाता है। बाघ लुप्तप्राय जानवर है। शिकार किए जाने और जंगलों की कटाई से इसके हमेशा-हमेशा के लिए खत्म होने का खतरा है। ऐसा नहीं हो इसके लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के लिए जागरूकता फैलाने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
अवैध शिकार से है बाघ को सबसे अधिक खतरा
बाघ भारत समेत एशिया के कई देशों में पाए जाते हैं। बाघों को सबसे अधिक खतरा अवैध शिकार से है। बाघों के संरक्षण के लिए जरूरी है कि सभी देश मिलकर इस दिशा में काम करें। बाघ बचाने के लिए जरूरी है कि इसके शरीर से बनने वाले उत्पादों की मांग कम की जाए। ऐसा होने पर ही बाघों का शिकार घट सकता है। अंतरराष्ट्रीय सहयोग से बाघों के अंगों के अवैध कारोबार पर लगाम लगाने में मदद मिलती है।
संतुलन बनाए रखते हैं बाघ
बाघ जंगल और उनके जानवरों के लिए काफी अहम हैं। बाघ फूड चेन में टॉप पर है। यह जंगल के दूसरे जानवारों का शिकार कर पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखता है। बाघ के डर से इंसान भी जंगल में जाने से बचते हैं, जिससे जंगल और उनसे जानवरों की रक्षा होती है।
पिछली शताब्दी में बाघों की आबादी में चिंताजनक गिरावट आई है। बाघ दिवस इस स्थिति में तत्काल सुधार की जरूरत पर बल देता है। इस दिन दुनिया भर में जानवरों को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयास पर प्रकाश डाला जाता है। बच्चों को बाघों और इसके संरक्षण के बारे में बताया जाता है ताकि वे आगे चलकर इस दिशा में काम कर सकें।