ईशा अकादमी की Human is not a resource प्रोग्राम में शामिल हुए विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गज, लीडरशिप डेवलपमेंट के दिए टिप्स

तीन दिवसीय लीडरशिप प्रोग्राम के पहले दिन उद्योग के दिग्गज समित घोष (संस्थापक, यूनीवर स्मॉल फाइनेंस लिमिटेड); वसंती श्रीनिवासन (प्रोफेसर, IIM बैंगलोर); अमित आंचल (बोर्ड सदस्य, ओला इलेक्ट्रिक); हिमांशु सक्सेना (संस्थापक और सीईओ-COSM) मौजूद रहे।

HINAR 7th Edition: ईशा लीडरशिप अकादमी द्वारा आयोजित होने वाले वार्षिक लीडरशिप कार्यक्रम 'ह्यूमन इज नॉट ए रिसोर्स' प्रोग्राम (Human is not a resource) के सातवें एडिशन का शुभारंभ शुक्रवार को किया गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस प्रोग्राम में विभिन्न क्षेत्रों के लीडर्स, बिजनेसमेन और एचआर प्रोफेशनल्स का जुटान हुआ है ताकि मानव को संसाधन के रूप में मानव से संभावनाओं के रूप में एक आदर्श बदलाव को सक्षम करने के लिए व्यावहारिक कदमों पर चर्चा की जा सके।

पहले दिन के कार्यक्रम में इन लोगों ने साझा किए विचार

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तीन दिवसीय लीडरशिप प्रोग्राम के पहले दिन उद्योग के दिग्गज समित घोष (संस्थापक, यूनीवर स्मॉल फाइनेंस लिमिटेड); वसंती श्रीनिवासन (प्रोफेसर, आईआईएम बैंगलोर); अमित आंचल (बोर्ड सदस्य, ओला इलेक्ट्रिक); हिमांशु सक्सेना (संस्थापक और सीईओ-सेंटर ऑफ़ स्ट्रेटेजिक माइंडसेट) मौजूद रहे।

कर्मचारी हमारे केवल संसाधन नहीं बल्कि स्टेकहोल्डर्स भी: सनित घोष

उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक के संस्थापक सनित घोष ने कहा कि हमें अपने सभी स्टेक होल्डर्स के लिए समान रूप से अच्छा होना चाहिए। केवल शेयरधारक या ग्राहक, नियामक ही नहीं कर्मचारी के साथ भी हमारा व्यवहार समान ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ESOP) प्रदान करता है। सनित घोष ने कहा कि हमने अपने कर्मचारियों को सिर्फ एक संसाधन के रूप में नहीं बल्कि एक हितधारक के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि ESOP की पेशकश से संगठन में कर्मचारियों के बीच स्वामित्व की भावना आई और इसके परिणामस्वरूप परिवर्तन की उल्लेखनीय कहानियां बनीं। हर साल, ग्रेट प्लेस टू वर्क काम करने के लिए भारत की 100 सर्वश्रेष्ठ कंपनियों की पहचान किया जाता है और उज्जीवन एसएफबी लगातार इस सूची में शामिल होता रहा है।

संस्कृति को समझने वाले सत्र में आईआईएम बैंगलोर प्रोफेसर वसंती श्रीनिवासन ने कहा कि पहली बात यह है कि जब बात संस्कृति होती है तो कोई अच्छी संस्कृति या बुरी संस्कृति नहीं होती है। केवल एक उपयुक्त संस्कृति या अनुचित संस्कृति होती है। संस्कृति अक्सर पूरी तरह से एक आंतरिक विशेषता नहीं होती है। संस्कृति भी छवि से परिभाषित होती है। जो हम बनाते हैं और बाहरी तौर पर कैसा दिखता है या बाहरी लोग हमें कैसे देखते हैं, इसी से संस्कृति को उचित या अनुचित करार दिया जाता है। प्रोफेसर श्रीनिवासन ने कहा कि हमें अपनी दृष्टि नहीं खोनी चाहिए।

ईशा संस्कृति के छात्रों ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए

पहले दिन के सत्र में ईशा संस्कृति के छात्रों ने कई मनमोहक व आकर्षक कार्यक्रम पेश किए। नृत्य एवं गीत कार्यक्रमों ने सबका मन मोह लिया। छात्रों ने प्रसिद्ध कबीर गीत "या घाट भीतरर" पर नृत्य किया तो दर्शक मंत्रमुग्ध होकर अपनी कुर्सियों पर जमे रहे। इसके बाद अंतिम सत्र उद्योग के विशेषज्ञों से संस्कृति परिवर्तन की कहानियों को लेकर आगे बढ़ा। इस सत्र को ओला इलेक्ट्रिक के बोर्ड मेंबर अमित आंचल ने अपनी करियर यात्रा के साथ एयरटेल व ओला में परिवर्तन की कहानियों को साझा किया। सेंटर ऑफ़ स्ट्रैटेजिक माइंडसेट (सीओएसएम) के संस्थापक और सीईओ हिमांशु सक्सेना ने भी अपने अनुभव सबसे साझा किए।

अगले दो दिनों में ये दिग्गज करेंगे प्रतिभागियों से बातचीत

ईशा लीडरशिप अकादमी के इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में आखिरी दो दिन भी विभिन्न क्षेत्रों के कई दिग्गज बातचीत करेंगे। इसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ; हिंदुस्तान यूनिलीवर की कार्यकारी निदेशक एचआर व सीएचआरओ यूनिलीवर साउथ एशिया अनुराधा राजदान; टाटा डिजिटल के सीईओ प्रतीक पाल, महिंद्रा फर्स्ट व्हील्स के एमडी व सीईओ आशुतोष पांडे, और मौमिता सेन सरमा शामिल हैं।

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