
नई दिल्ली। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक और बड़ा और चौंकाने वाला अध्याय जुड़ गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से अपने सबसे ताकतवर रॉकेट LVM3-M6 (बाहुबली) के जरिए अमेरिका का अगली पीढ़ी का BlueBird Block-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। यह लॉन्च सिर्फ एक सैटेलाइट मिशन नहीं है, बल्कि वह तकनीक है जो भविष्य में बिना टावर, बिना डिश और बिना खास डिवाइस के सीधे स्मार्टफोन पर 4G-5G नेटवर्क देने का दावा करती है।
BlueBird Block-2 एक 6.5 टन वजनी विशाल कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसे लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में तैनात किया गया है। ISRO के मुताबिक, यह अब तक का LEO में भेजा गया सबसे भारी पेलोड है। इस सैटेलाइट को अमेरिकी कंपनी AST SpaceMobile ने बनाया है, जिसका लक्ष्य है दुनिया के हर कोने में, हर समय, हर व्यक्ति तक मोबाइल नेटवर्क पहुंचाना।
यही इस तकनीक का सबसे रहस्यमय और क्रांतिकारी हिस्सा है। अब तक सैटेलाइट इंटरनेट के लिए खास डिश या रिसीवर की जरूरत होती थी, लेकिन BlueBird सिस्टम सीधे सामान्य स्मार्टफोन से कनेक्ट होने के लिए डिजाइन किया गया है। मतलब:
AST SpaceMobile के अनुसार, BlueBird Block-2 में 223 वर्ग मीटर का फेज़्ड ऐरे एंटीना लगा है। यही वजह है कि इसे करीब 600 किलोमीटर ऊंचाई पर मौजूद सबसे बड़ा कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट माना जा रहा है। यह सैटेलाइट:
सब कुछ सीधे मोबाइल तक पहुंचाने की क्षमता रखता है।
हां, यही इस मिशन की सबसे बड़ी खासियत है। अमेरिका की कंपनी AST SpaceMobile का BlueBird Block-2 ऐसा पहला कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, जिसे इस तरह डिजाइन किया गया है कि वह सीधे सामान्य स्मार्टफोन से कनेक्ट हो सके। मतलब, न कोई सैटेलाइट फोन चाहिए, न कोई अलग एंटीना-बस वही फोन जो आपकी जेब में है।
हां। AST SpaceMobile ने सितंबर 2024 में BlueBird-1 से BlueBird-5 तक पांच सैटेलाइट लॉन्च किए थे। इन सैटेलाइट्स से अमेरिका और कुछ अन्य देशों में लगातार इंटरनेट कवरेज मिल रहा है। अब कंपनी इसी नेटवर्क को और मजबूत करने के लिए दर्जनों नए सैटेलाइट लॉन्च करने की योजना पर काम कर रही है।
यह मिशन LVM3 रॉकेट की छठी ऑपरेशनल उड़ान है और तकनीकी रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण था। 6,100 किलोग्राम का पेलोड लेकर LEO तक पहुंचना ISRO की भारी-भरकम लॉन्च क्षमता को साबित करता है। इससे भारत की छवि सिर्फ सस्ते लॉन्च प्रोवाइडर की नहीं, बल्कि हाई-एंड स्पेस टेक्नोलॉजी पार्टनर की बनती जा रही है।
यह ISRO और अमेरिका के बीच दूसरा बड़ा सहयोगी मिशन है। इससे पहले जुलाई में ISRO ने NASA-ISRO NISAR मिशन लॉन्च किया था, जो पृथ्वी की सतह को कोहरे, बादलों और बर्फ के नीचे से भी स्कैन कर सकता है। ये मिशन दिखाते हैं कि भारत अब ग्लोबल स्पेस टेक्नोलॉजी लीडर की भूमिका में आ रहा है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस लॉन्च पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में ISRO लगातार एक के बाद एक ऐतिहासिक सफलताएं हासिल कर रहा है और भारत की अंतरिक्ष ताकत पूरी दुनिया देख रही है।
यह ISRO और अमेरिका के बीच दूसरा बड़ा स्पेस कोलैबोरेशन है। इससे पहले जुलाई में ISRO ने NASA-ISRO NISAR मिशन लॉन्च किया था, जो पृथ्वी की हाई-रिजॉल्यूशन इमेजिंग के लिए है। BlueBird-6 और ISRO का यह मिशन इशारा करता है कि भविष्य का नेटवर्क अब जमीन पर नहीं, अंतरिक्ष में बसने वाला है। विशेषज्ञ मानते हैं कि BlueBird-6 और इस तरह के मिशन टेलीकॉम और स्पेस टेक्नोलॉजी का गेम बदल सकते हैं। अगर यह तकनीक बड़े स्तर पर सफल होती है, तो आने वाले वर्षों में मोबाइल नेटवर्क की परिभाषा पूरी तरह बदल सकती है।