हाल ही में प्रमोट होकर विंग कमांडर से ग्रुप कैप्टन बनें शुभांशु शुक्ला सबसे कम उम्र के Prime Astronaut हैं। इसरो ने इसलिए ग्रुप कमांडर शुभांशु शुक्ला को भारत-अमेरिका मिशन के लिए चुना है।
ISRO selected Prime Astronaut for Indo_america Mission: इसरो ने भारत-अमेरिका अंतरिक्ष मिशन के लिए प्राइम एस्ट्रोनॉट के रूप में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को सेलेक्ट किया है। वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से मिशन के लिए जाने वाले सबसे युवा प्राइम एस्ट्रोनॉट होंगे। जबकि बैक-अप अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर होंगे। अभी तक भारत में केवल एक ही अंतरिक्ष यात्री विंग कमांडर राकेश शर्मा थे। राकेश शर्मा ने 1984 में एक इंडो-सोवियत मिशन पर उड़ान भरी थी।
इसरो ने गगनयान मिशन के लिए चार एस्ट्रोनॉट्स को बेंगलुरू स्थित एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग दी थी। सेलेक्ट चारों अंतरिक्ष यात्रियों के नाम ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णण नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णण, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और हाल ही में प्रमोट होकर विंग कमांडर से ग्रुप कैप्टन बनें शुभांशु शुक्ला है। शुभांशु शुक्ला सबसे कम उम्र के हैं। इसरो ने इसलिए ग्रुप कमांडर शुभांशु शुक्ला को भारत-अमेरिका मिशन के लिए चुना है।
क्या होता है प्राइम एस्ट्रोनॉट और बैकअप एस्ट्रोनॉट?
दरअसल, प्राइम एस्ट्रोनॉट वह होता है जिसे अंतरिक्ष में उड़ान भरने के लिए चुना जाता है। लेकिन एक बैकअप अंतरिक्ष यात्राी या बैकअप एस्ट्रोनॉट भी सेलेक्ट किया जाता है। यह इसलिए क्योंकि आखिरी समय में किसी दुर्घटना के कारण अदला-बदली की आवश्यकता होने पर की जा सके।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
प्राइम एस्ट्रोनॉट चुने गए शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन हैं। उनका जन्म 10 अक्टूबर, 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ था। वे नेशनल डिफेंस एकेडमी के पूर्व छात्र हैं। शुभांशु, 17 जून 2006 को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) की फाइटर स्ट्रीम में शामिल हुए थे। वे एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और लगभग 2,000 घंटे की उड़ान के अनुभव वाले एक परीक्षण पायलट हैं। उन्होंने सुखोई-30MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 सहित कई तरह के विमान उड़ाए हैं।
जानिए प्रशांत बालकृष्णन नायर के बारे में...
बैक-अप अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर हैं। नायर का जन्म 26 अगस्त 1976 को केरल के थिरुवझियाद में हुआ था। वे भी नेशनल डिफेंस एकेडमी के पूर्व छात्र हैं। वायु सेना अकादमी में उनको स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से नवाजा जा चुका है। उन्हें 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में कमीशन दिया गया था। ग्रुप कैप्टन नायर एक श्रेणी-ए फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर हैं - जो एक पायलट द्वारा प्राप्त की जा सकने वाली सर्वोच्च योग्यता है। ग्रुप कैप्टन नायर लगभग 3,000 घंटे की उड़ान के अनुभव वाले एक परीक्षण पायलट हैं। उन्होंने सुखोई-30MKI, मिग-21, मिग-29, हॉक, डोर्नियर और एएन-32 सहित कई विमान भी उड़ाए हैं।
वे यूनाइटेड स्टेट्स स्टाफ कॉलेज के पूर्व छात्र हैं और डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर स्कूल, तांबरम में डायरेक्टिंग स्टाफ हैं। उन्होंने सुखोई-30MKI स्क्वाड्रन की कमान संभाली है।
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