सफेद लिफाफा, सिग्नेचर और जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा: क्या पीएम मोदी को लेकर सवाल पूछना पड़ गया उपराष्ट्रपति को भारी

Published : Jul 29, 2025, 03:50 PM IST
jagdeep dhankhar pm modi

सार

Vice President Jagdeep Dhankhar का अचानक इस्तीफा केवल स्वास्थ्य कारण नहीं था। Justice Yashwant Varma Impeachment Notice पर केंद्र-विपक्ष टकराव और NDA की रणनीति ने तय की धनखड़ की विदाई। जानिए 21 जुलाई को क्या हुआ सुबह से शाम तक।

Jagdeep Dhankhar Resignation: संसद के मानसून सत्र में देश के इतिहास की सबसे बड़ी घटना घटी। भारत के उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया था। दरअसल, यह इस्तीफा यूं ही नहीं हुआ। उपराष्ट्रपति के अचानक से सत्तापक्ष से सवाल पूछना और विपक्ष को मौका देना, शायद सरकार को चुभ गया और फिर उनके विदाई की कहानी लिख दी गई।

दरअसल, मानसून सत्र के पहले दिन शाम के पांच बजने में बस दस मिनट बचे थे। इसके बाद संसद की कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित कर दी गई। लेकिन केंद्र सरकार ने तय कर लिया था कि जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) अगले दिन पूर्व हो जाएंगे। पहले दिन शाम ठीक 4:50 बजे, एक सीलबंद लिफाफा राज्यसभा सचिवालय को सौंपा गया। यहीं से शुरू हुआ उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति के रूप में धनखड़ के सफर का अंत।

स्वास्थ्य का बहाना, पीएम मोदी को लेकर सवाल पूछना बना काल?

जगदीप धनखड़ ने मानसून सत्र 2025 के फर्स्ट डे ही रात होते-होते अपना इस्तीफा दे दिया। दरअसल, स्वास्थ्य कारण या जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के महाभियोग को स्वीकार करना तो महज एक दिखावटी वजह मानी जा रही है। सरकारी सूत्रों की मानें तो बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग में सरकार के मंत्रियों से पीएम मोदी को लेकर सवाल पूछना ही उनके कार्यकाल को बीच में खत्म करने का कारण बना। उन्होंने सत्ता पक्ष को तो जज मामले में विपक्ष को तवज्जो देकर नाराज कर ही दिया था। बताया गया कि धनखड़ ने विपक्ष के महाभियोग नोटिस को मंज़ूरी दे दी थी, जबकि केंद्र इस कदम के खिलाफ था। ये वही जज हैं जिनके इर्द-गिर्द भारी कैश रिकवरी का विवाद सामने आया था। जब उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ ने राज्यसभा में इस नोटिस का ज़िक्र किया, तो केंद्र ने इसे बड़ी नाराजगी से लिया।

लेकिन असली वजह तो मानसून सत्र के पहले दिन सुबह ही तैयार हो गई थी। सुबह धनखड़ ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में हिस्सा लिया। उन्होंने मंत्रियों से पूछा कि प्रधानमंत्री ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (Operation Sindoor) पर सदन में कब बोलेंगे। यह सवाल केंद्र के लिए अप्रत्याशित था। मंत्रियों ने नाराज़गी जताई कि पीएम कब बोलेंगे यह चेयर या विपक्ष नहीं तय करेगा।

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किसी सीनियर मिनिस्टर का फोन कॉल लगातार इग्नोर

लंच के समय धनखड़ अपने आवास लौटे। यहीं उन्हें एक वरिष्ठ मंत्री का कॉल आया। बताया जा रहा है कि यह कॉल दो बार आया। लेकिन उन्होंने बात करने से मना कर दिया। यहीं से बात बिगड़ गई। केंद्र को समझ आ गया कि सदन कहीं निष्पक्ष भाव से चलने न लगे और विपक्ष को पूरी तरह से सरकार पर हावी होने का मौका न मिल जाए या सत्ता पक्ष को सदन में परेशान स्थिति का सामना न करना पड़ जाए। इसके बाद केंद्र सरकार ने तय किया कि उपराष्ट्रपति को हटाया ही जाना चाहिए।

सरकार का प्रेशर पॉलिटिक्स, 134 MPs के साइन और धनखड़ गए

4 बजे धनखड़ ने फिर से राज्यसभा में विपक्षी प्रस्ताव का ज़िक्र किया। लेकिन तब तक सरकार एक्टिव हो चुकी थी। 4:30 बजे BAC की दूसरी बैठक थी, पर सरकार का कोई भी मंत्री नहीं पहुंचा। दूसरी ओर, बीजेपी के नेतृत्व में NDA के अधिकतर राज्यसभा सांसद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के ऑफिस में इकट्ठा हो चुके थे। यहां राजनाथ सिंह द्वारा दिए गए एक सफेद कागज पर सभी ने सिग्नेचर किए। इस कागज को उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था।

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लिफाफा, सिग्नेचर और विदाई

सरकार इस मामले को अगले दिन तक टालना नहीं चाहती थी। सफेद कागज पर सिग्नेचर किए गए प्रस्ताव को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को सौंपा गया जिन्होंने इसे धनखड़ के कक्ष में जाकर राज्यसभा सचिवालय को 4:50 बजे दे दिया। मंत्रियों ने NDA सांसदों को अलग-अलग ग्रुप में जानकारी दी, और यहां तक कहा कि अगर कोई साइन वापस लेना चाहता है तो ले सकता है। हालांकि, प्रस्ताव के असली कंटेंट को लेकर अब तक सरकारी चुप्पी बनी हुई है। यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिरकार प्रस्ताव में क्या था कि जिसकी वजह से बिना देर किए धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद छोड़ दिया।

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