अडानी-हिंडनबर्ग विवाद पर बेवजह अपनी 'राय' देने के कारण अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस (George Soros) की फजीहत हो रही है। इन मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करने को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उन्हें करारा जवाब दिया है।
नई दिल्ली। अडानी-हिंडनबर्ग विवाद (Adani-Hidenburg row) पर बेवजह अपनी 'राय' देने के कारण अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस (George Soros) की फजीहत हो रही है। इन मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी करने को लेकर विदेश मंत्री एस. जयशंकर (EAM S Jaishankar) ने उन्हें करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्री ने जॉर्ज सोरोस को एक बुड्ढा खतरनाक अमीर बताया है। रायसीना@सिडनी डायलॉग में ऑस्ट्रेलियाई मंत्री क्रिस ब्राउन के साथ एक सेशन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने जॉर्ज को जैसे अच्छे से जवाब दे डाला। पढ़िए पूरी डिटेल्स...
जानिए जॉर्ज के विवादास्पद बयान और जयशंकर का पलटवार
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से भी मुलाकात की।वहीं, रायसीना@सिडनी डायलॉग में जयशंकर ने कहा-"श्री सोरोस न्यूयॉर्क में बैठे एक बूढ़े, अमीर विचारों वाले न्यूयॉर्क में बैठे व्यक्ति हैं, जो अभी भी सोचते हैं कि उनके विचारों से ही तय किया जाना चाहिए कि पूरी दुनिया कैसे काम करती है? ऐसे लोग वास्तव में नरैटिव्स को आकार देने रिसोर्स का इन्वेस्ट करते हैं। जब चुनाव एक अलग रिजल्ट देता है, तब वे कहेंगे कि यह एक दोषपूर्ण लोकतंत्र( flawed democracy) है और ब्यूटी यह है कियह सब खुले समाज की वकालत के बहाने किया जाता है।"
बता दें कि जॉर्ज ने टोंट किया था कि पीएम मोदी और इंडस्ट्रियलिस्ट गौतम अडानी करीबी सहयोगी हैं, जिनके भाग्य आपस में जुड़े(fate is intertwined) हुए हैं। सोरोस ने गुरुवार(16 फरवरी) को म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन( Munich Security Conference) में अपनी टिप्पणी में कहा था, "अडानी पर स्टॉक हेरफेर का आरोप है और उनका स्टॉक ताश के पत्तों की तरह ढह गया। मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और पॉर्लियामेंट में सवालों का जवाब देना होगा।"
जयशंकर ने सिडनी में कहा- "जब मैं अपने स्वयं के लोकतंत्र को देखता हूं, तो मैंने आज मतदान प्रतिशत(त्रिपुरा विधानसभा वोटिंग 86.10%) देखा है, जो अभूतपूर्व है, चुनावी नतीजे जो निर्णायक होते हैं, चुनावी प्रक्रिया, जिस पर सवाल नहीं उठाया जाता है। हम उन देशों में से नहीं हैं, जहां चुनाव के बाद कोई अदालत में पंचायत करने जाता है।"
जयशंकर ने आगे कहा-"श्री सोरोस ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि भारत के प्रधान मंत्री एक लोकतांत्रिक हैं। उन्होंने पहले हम पर लाखों मुसलमानों को उनकी नागरिकता छीनने की योजना(NRC और CAA) बनाने का आरोप लगाया था, जो निश्चित रूप से नहीं थी, यह एक हास्यास्पद सुझाव था।"
जॉर्ज ने मोदी पर निशाना साधते हुए दावा किया था कि भारत में अडानी के मुद्दे पर एक लोकतांत्रिक परिवर्तन होगा। जॉर्ज इससे पहले 2020 में भी मोदी को लेकर अनर्गल बयान दिया था। तब कहा था कि मोदी के नेतृत्व में भारत तानाशाही व्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। हालांकि जॉर्ज के बयान की भाजपा सहित कांग्रेस ने भी निंदा की थी। दोनों पार्टियों ने कहा था कि भारत में लोकतांत्रिक बदलाव का रास्ता चुनाव है। सोरोस जैसे लोग हमारे चुनावी नतीजे तय नहीं कर सकते। क्लिक करके पढ़ें स्मृति ईरान ने क्या जवाब दिया था
हम अपने डेटा के प्रति संशय में नहीं रह सकते, जिस तरह हम गलती से प्रोडक्ट्स को लेकर रहे थे। मेरा डेटा कहां है, उसे कौन प्रोसेस करता है, वे उसके साथ क्या करते हैं ये मेरे लिए मायने रखता है। हम कैसे विकेंद्रीकरण करते हैं, हम कैसे साथ में काम करते हैं, हम कैसे विविधता लाते हैं, हम दुनिया का लोकतंत्रीकरण कैसे करते हैं। यह हमारी चिंता है।
दुनिया में वित्तीय स्थिरता को लेकर भी चिंताएं हैं। 70 से ज्यादा देश उनकी वित्तीय स्थिति को स्थिर करने के लिए IMF के साथ काम कर रही हैं। कुछ दिन पहले तक इनमें से बहुत से देश कम आय वाले देश नहीं थे।
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