
Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में टूरिस्टों पर हुए आतंकी हमले के बाद पूरे देश में जनाक्रोश है। सत्तापक्ष हो या विपक्ष, हर कोई आतंक के खिलाफ कार्रवाई के लिए एकजुट है। दिल्ली में हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने सरकार के साथ हर कार्रवाई में साथ देने का ऐलान किया और आतंकवाद के खात्मे के लिए सख्त एक्शन की मांग की है। उधर, जम्मू-कश्मीर में भी सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने दुर्लभ एकजुटता दिखाते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) की अध्यक्षता में आयोजित सर्वदलीय बैठक में आतंकवाद की कड़ी निंदा की और शांति-सद्भाव की अपील की।
डीपीएपी (DPAP) अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि पूरा देश और जम्मू-कश्मीर की जनता उन परिवारों के साथ खड़ी है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है... कश्मीर के हिंदू और मुस्लिम दोनों आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।
जम्मू-कश्मीर कांग्रेस अध्यक्ष तारिक हमीद कर्रा (Tariq Hameed Karra) ने कहा कि घटना पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। राहुल गांधी का यह संदेश भी हमने पहुंचाया। हमने यह सुझाव भी दिया कि एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पीड़ित परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त करे और पहलगाम में एक स्मारक का निर्माण किया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि 'शहीद सैयद अदिल हुसैन' को मरणोपरांत सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया जाए।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सभी दलों की ओर से एक प्रस्ताव पढ़ा जिसमें कहा गया: 22 अप्रैल को निर्दोष नागरिकों पर हुए क्रूर हमले से हम गहरे दुख और आक्रोश में हैं। हम इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं और इस barbaric हमले को ‘कश्मीरियत’ और भारत की साझा विरासत पर सीधा हमला मानते हैं। शांति, एकता और न्याय के लिए हम सभी प्रतिबद्ध हैं। हम केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करते हैं और शोक-संतप्त परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।
आतंकियों ने मंगलवार को पहलगाम के बैसारन घास के मैदान (Baisaran meadow) में हमला किया था। पहली बार आतंकियों ने पर्यटकों को बड़े पैमाने पर निशाना बनाया। हमले में 25 भारतीय नागरिकों और 1 नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी। कई अन्य घायल हुए। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में सबसे गंभीर घटनाओं में से एक है।