President Election 2022 देश में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ है। 18 जुलाई को वोटिंग होनी है। बीजेपी व एनडीए गठबंधन ने पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाया है जबकि विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना प्रत्याशी बनाया है।
नई दिल्ली। देश में हो रहे राष्ट्रपति चुनाव (President Election 2022) में एक बार फिर जम्मू-कश्मीर चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकेगा। हालांकि, यह पहली बार नहीं है कि कोई राज्य चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहा है। पूर्व के राष्ट्रपति चुनावों के दौरान कई ऐसे राज्य रहे हैं जो चुनाव में भाग नहीं ले सके। गुजरात, असम, नागालैंड के अलावा कई राज्य पहले भी राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने से वंचित रह चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर पहले भी चुनाव में भाग लेने से रह चुका है वंचित
राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में दूसरी दफा जम्मू-कश्मीर के वोटर्स नहीं होंगे। जम्मू-कश्मीर को 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 भी खत्म कर दिया गया था। हालांकि, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दो केंद्र शासित प्रदेशों के गठन के बाद से नए बने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव नहीं हो सका है। 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। उधर, जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों का नया परिसीमन हो चुका है लेकिन चुनाव में अभी देरी है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का गठन नहीं होने की वजह से राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग नहीं कर सकेगा। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख बिना विधानसभा वाला राज्य है।
राष्ट्रपति चुनाव में नहीं शिरकत करने वाला सबसे पहला राज्य है गुजरात
राज्य विधानसभाओं के विघटन की वजह से राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेने के कई उदाहरण हैं। राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में गुजरात पहला राज्य है जो इसमें भाग नहीं ले सका है। यह साल 1974 की बात है। गुजरात नवनिर्माण आंदोलन चल रहा था। चिमनभाई पटेल के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का विघटन हो चुका था। विधानसभा भंग थी। उस समय हुए राष्ट्रपति चुनाव में गुजरात हिस्सा न लेने वाला पहला राज्य था।
1992 में नागालैंड और जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग था
1992 में जम्मू-कश्मीर और नागालैंड राज्य का प्रतिनिधित्व राष्ट्रपति चुनाव में नहीं था। उस समय शंकर दयाल शर्मा राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे लेकिन दोनों राज्य इस चुनाव का हिस्सा नहीं हो सके थे। दरअसल, 1992 में जम्मू-कश्मीर व नागालैंड विधानसभा भंग कर दिया गया था। 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में उग्रवाद की वजह से अशांत क्षेत्रों में चुनाव नहीं कराए गए थे।
1982 में असम का नहीं था प्रतिनिधित्व
1982 में असम विधानसभा भंग कर दी गई थी। विधानसभा भंग होने की वजह से विधायक वोट नहीं डाल सके थे। इस चुनाव के दौरान ज्ञानी जैल सिंह राष्ट्रपति चुने गए थे।
हालांकि, जम्मू-कश्मीर कें सांसद करेंगे वोटिंग
18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में केंद्र शासित प्रदेश के पांच लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, अकबर लोन, जुगल किशोर शर्मा और जितेंद्र सिंह वोट डालने के पात्र हैं।
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