कश्मीरी पंडितों से फिर गुलजार होगी घाटी , पुनर्वास-समस्याओं के लिए पोर्टल लांच, मिलेगा त्वरित न्याय

पोर्टल पर कश्मीरी पंडित व्यक्तिगत या सार्वजनिक संपत्तियों संबंधित शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। शिकायत दर्ज कराने के बाद उनको एक यूनिक आईडी मिल जाएगा। 

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) के पुनर्वास व उनकी समस्याओं के निस्तारण के लिए पोर्टल का शुभारंभ किया गया है। उप राज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) ने इस पोर्टल को लांच करते हुए बताया कि अधिकारिक रूप से पोर्टल को आज लांच किया जा रहा है लेकिन वेबसाइट एक सप्ताह पहले ही शुरू कर दिया गया था। इसके जरिए करीब 745 शिकायतें भी कश्मीरी पंडितों ने दर्ज कराई है। 

 

पोर्टल से होगा किसको फायदा

कश्मीरी पंडितों के लिए लांच किए गए इस पोर्टल के माध्यम से राज्य के विस्थापित कश्मीरी पंडितों की संपत्तियों सहित उनकी अन्य समस्याएं दर्ज की जा सकेगी और उनका निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जा सकेगा। 
इस पोर्टल पर कश्मीरी पंडित व्यक्तिगत या सार्वजनिक संपत्तियों संबंधित शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। शिकायत दर्ज कराने के बाद उनको एक यूनिक आईडी मिल जाएगा। इसके बाद यह आवेदन संबंधित जिले में भेजकर कार्रवाई कराई जाएगी और समय-समय पर शिकायतकर्ता या पीड़ित पक्ष को अपडेट भी किया जाएगा। 

जानकारी के लिए नंबर भी जारी किया गया

साथ ही इस संबंध में किसी जानकारी के लिए राहत और पुनर्वास आयुक्त कार्यालय 0191-2586218 और 0191-2585458 पर संपर्क कर सकते हैं। 

कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास या घरवापसी के लिए रजिस्ट्रेशन हो रहा

केंद्र और राज्य सरकार, राज्य में कश्मीरी विस्थापितों की वापसी के लिए कार्रवाई कर रही है। अभी कुछ दिन पहले ही उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने घाटी में वापसी करने के इच्छुक कश्मीरी पंडित परिवारों के लिए रजिस्ट्रेशन के लिए गाइडलाइन जारी कर रजिस्ट्रेशन के लिए प्रोत्साहित किया। देश और विदेश में बसे कश्मीरी विस्थापित राहत और पुनर्वास विभाग में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन भी कर सकते हैं.

करीब एक लाख कश्मीरी प्रवासियों को आवास प्रमाण पत्र

सरकारी रिकार्ड के अनुसार जून के आखिर तक 98,600 कश्मीरी प्रवासियों को आवास प्रमाणपत्र दिया गया है। अधिकारियों ने बताया था कि कश्मीरी पंडितों को 90,430 आवास प्रमाण पत्र जारी किए गए। जबकि विस्थापित कश्मीरियों के 2340 परिवारों को नए प्रवासी के तौर पर पंजीकृत किया गया। उनमें 8,170 व्यक्तियों को आवास प्रमाणपत्र दिया गया।

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