भाषाई आधार पर आरक्षण पाने वाला पहला समुदाय J & K के पहाड़ी, शाह का गुर्जरों, बकरवालों व पहाड़ियों को ST आरक्षण

जम्मू-कश्मीर में पहुंचे अमित शाह ने राजौरी की रैली में कहा कि उपराज्यपाल द्वारा गठित आयोग ने रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण की सिफारिश की गई है। इस सिफारिश के आधार पर जल्द आरक्षण देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

Dheerendra Gopal | Published : Oct 4, 2022 12:18 PM IST / Updated: Oct 04 2022, 05:49 PM IST

Jammu Kashmir Pahadi community quota: देश का केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर भी धीरे धीरे चुनावी मोड की ओर बढ़ चला है। मंगलवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राजौरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गुर्जरों, बकरवालों के अलावा पहाड़ी समुदाय को जल्द अनुसूचित जनजाति की कैटेगरी में शामिल करने और आरक्षण का वादा किया। उन्होंने कहा कि इन समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के बाद नौकरियों व पढ़ाई में आरक्षण की राह आसान हो जाएगी। शाह की घोषणा के बाद अगर पहाड़ी समुदाय को आरक्षण मिलता है तो यह भाषाई आधार पर आरक्षण का देश में पहला मामला होगा। हालांकि, केंद्र सरकार को पहाड़ी समुदाय को भाषाई आधार पर एसटी कैटेगरी में रखने के लिए रिजर्वेशन बिल में संशोधन करने के लिए संसद में जाना होगा।

रैली में क्या कहा अमित शाह ने?

जम्मू-कश्मीर में पहुंचे अमित शाह ने राजौरी की रैली में कहा कि उपराज्यपाल द्वारा गठित आयोग ने रिपोर्ट केंद्र को भेज दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर गुर्जर, बकरवाल और पहाड़ी समुदायों के लिए आरक्षण की सिफारिश की गई है। इस सिफारिश के आधार पर जल्द आरक्षण देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अब गुर्जर, बकरवाला और पहाड़ी समुदाय भी आरक्षण का लाभ ले सकेंगे। लेकिन यह सब तभी संभव हो सका जब अनुच्छेद 370 को हटाया जा सका और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जा को खत्म किया गया। अब यहां के अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों, पहाडि़यों को उनका हक मिलेगा।

तीन परिवारों से जम्मू-कश्मीर को मुक्त करने आया हूं: शाह

अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को यहां शासन करने वाले तीन परिवारों के चंगुल से मुक्त करने आया हूं। हालांकि, शाह ने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्लाह परिवार का नेशनल कांफ्रेंस, मुफ्ती मोहम्मद सईद के परिवार के नेतृत्व वाले पीडीपी व कांग्रेस के गांधी परिवार को यहां शासन रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि शाह के निशाने पर तीनों परिवार रहे। हालांकि, 2018 में जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के सहयोग से ही पीडीपी ने सरकार बनाई थी और महबूबा मुफ्ती सीएम बनीं थीं। वह केंद्र में भी सहयोगी रही हैं।

अब राज्य के मालिक गांव हैं...

गृहमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की सत्ता अब 30 हजार लोगों के पास है जो पंचायतों व जिला परिषदों के चुने गए प्रतिनिधि हैं। पहले केंद्र जो भी पैसा विकास के लिए भेजता था तो उसको हड़प लिया जाता था, फिजूलखर्ची होती थी लेकिन अब यह पैसा सीधे गांवों में पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था भी पहले से बेहतर हुई है। मोदी सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। अब सुरक्षा पहले से काफी बेहतर हुई है। 

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