पुलवामा में आतंकवादियों का ग्रेनेड से हमला, एक प्रवासी मजदूर की मौत, दो गंभीर

Published : Aug 04, 2022, 10:15 PM ISTUpdated : Aug 05, 2022, 12:44 AM IST
पुलवामा में आतंकवादियों का ग्रेनेड से हमला, एक प्रवासी मजदूर की मौत, दो गंभीर

सार

इस साल की शुरुआत में आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय मजदूरों पर हमले तेज कर दिए थे, लेकिन पिछले लगभग दो महीनों से इस तरह की लक्षित हत्याओं पर रोक लगी हुई थी।

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकवादियों ने एक बार फिर हमला बोल दिया। ग्रेनड से हुए इस हमले में एक प्रवासी मजदूर की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए हैं। सुरक्षा बलों ने इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र की कांबिंग शुरू कर दी है। 

कश्मीर जोन पुलिस ने ट्वीट किया कि पुलवामा के गदूरा इलाके में आतंकवादियों ने बाहरी मजदूरों पर ग्रेनेड फेंका। इस आतंकी घटना में एक मजदूर की मौत हो गई और दो अन्य घायल हो गए। इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।

आर्टिकल 370 हटाने की तीसरी बरसी की पूर्व संध्या पर हमला

पुलिस ने कहा कि यह हमला अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की तीसरी बरसी की पूर्व संध्या पर हुआ है, जब सुरक्षा हाई अलर्ट पर थी। पुलवामा जिले के गदूरा गांव में आतंकवादियों ने गैर स्थानीय मजदूरों पर ग्रेनेड फेंके है। 5 अगस्त, 2019 को, जम्मू और कश्मीर से उसका राज्य का दर्जा और विशेष संवैधानिक दर्जा छीन लिया गया था। क्षेत्रीय दल इसे जम्मू-कश्मीर के इतिहास का काला दिन बताते हैं।

बिहार के मोहम्मद मुमताज की हुई है मौत

मृतक मजदूर की पहचान बिहार के सकवा पारस निवासी मोहम्मद मुमताज के रूप में हुई है। घायलों में बिहार के ही मोहम्मद आरिफ और मोहम्मद मकबूल को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।

2019 से प्रवासी मजदूरों व कश्मीरी पंडितों का हो रहा कत्लेआम

अक्टूबर 2019 से, गैर-स्थानीय कार्यकर्ताओं को अक्सर आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाया जाता रहा है। कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों पर आतंकवादी टारगेटेड हमला कर मारकर चुनौती देते रहे हैं। हजारों कश्मीरी पंडित कर्मचारी और जम्मू के कर्मचारी भी मई और जून में लक्षित हमलों के बाद लगातार घाटी छोड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कर्मचारी घाटी में सुरक्षित महसूस नहीं करने के कारण जम्मू शिफ्ट हो गए हैं।

दो महीने से हमलों में आई थी बेतहाशा कमी

इस साल की शुरुआत में आतंकवादियों ने गैर-स्थानीय मजदूरों पर हमले तेज कर दिए थे, लेकिन पिछले लगभग दो महीनों से इस तरह की लक्षित हत्याओं पर रोक लगी हुई थी।

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