सार
रविवार को करीब नौ घंटे की पूछताछ के बाद जब ईडी ने राउत को हिरासत में लिया तो निराले अंदाज में वह भगवा गमछा लहराते हुए घर से ईडी दफ्तर तक का सफर तय किया। वह अपने कार्यकर्ताओं को लगातार अभिवादन के साथ विक्ट्री का साइन देते रहे।
मुंबई। महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के ढाई साल के दौरान, अगर महाराष्ट्र से कोई एक राजनेता था जो लगातार खबरों में रहने में कामयाब रहा, तो वह शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत (Sanjay Raut) रहे हैं। चार बार के राज्यसभा सांसद संजय राउत, मुखर होकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर लगातार आरोप लगाते रहे हैं। रविवार को करीब नौ घंटे की पूछताछ के बाद जब ईडी ने राउत को हिरासत में लिया तो निराले अंदाज में वह भगवा गमछा लहराते हुए घर से ईडी दफ्तर तक का सफर तय किया। वह अपने कार्यकर्ताओं को लगातार अभिवादन के साथ विक्ट्री का साइन देते रहे।
कौन हैं संजय राउत?
संजय राउत का जन्म महाराष्ट्र के अलीबाग में 15 नवम्बर 1961 में हुआ था। मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने वाले राउत की शादी साल 1993 में वर्षा राउत के साथ हुई थी। संजय राउत (Story of Sanjay Raut) ने अपने करियर की शुरूआत बतौर पत्रकार की थी। 1980 के दशक में संजय राउत ने क्राइम रिपोर्टर (Crime Reporter Sanjay raut) के रूप में मुंबई की लोकप्रभा पत्रिका में काम करना शुरू किया। अंडरवर्ल्ड में काफी बेहतरीन सोर्स होने की वजह से वह दाउद, छोटा राजन जैसे गिरोहों के बारे में सबसे सटीक खबरें लिखनी शुरू कर दी। क्राइम वर्ल्ड की नब्ज को सटीक तरीके से पहचानने वाले संजय राउत की पहचान एक बेहतरीन क्राइम रिपोर्टर के रूप में उस समय होती थी।
सामना में आने के बाद संजय राउत और मुखर हुए
महाराष्ट्र के जाने माने क्राइम रिपोर्टर संजय राउत के जीवन में उस समय सबसे बड़ा बदलाव आया जब वह सामना ज्वाइन किए। दरअसल, 2 जुलाई 1992 में सामना में कार्यकारी संपादक पद की वैकेंसी निकली। इस पद के लिए संजय राउत ने अप्लाई किया। सामना अखबार के संपादक, स्वयं बाला साहेब ठाकरे हुए करते थे। संजय राउत को बाल ठाकरे ने सेलेक्ट कर लिया। राउत, सामना ज्वाइन करते ही अखबार को ऊंचाईयों पर ले जाने के लिए काम किया। उन्होंने सबसे पहले संपादकीय में बदलाव किया। वह अखबार की संपादकीय को बाल ठाकरे की भाषाशैली में लिखने लगे। संपादकीय तो राउत लिखते थे लेकिन उसे पढ़ने के बाद लोग समझते थे कि बाल ठाकरे ही लिख रहे हैं। सामना में यह प्रयोग काफी लोकप्रिय हुआ। सामना, शिवसेना की तरह मुखर अखबार भी बना। उधर, बाल ठाकरे का विश्वास संजय राउत पर बढ़ता गया।
बाल ठाकरे ने कराया राजनीति में प्रवेश
संजय राउत, सामना के कार्यकारी संपादक रहते हुए शिवसेना में भी सक्रिय हुए। शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के कहने पर उनको उप नेता बनाया गया। इसके बाद वह राज्यसभा पहुंचे। हालांकि, इस दौरान संजय राउत काफी हद तक चुपचाप काम करते रहे। लेकिन 2019 में संजय राउत ने शिवसेना के लिए फ्रंट फुट पर खेलना शुरू किया।
2019 में शिवसेना का प्रमुख चेहरा बने संजय राउत
2019 में जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव हुए तो संजय राउत, अचानक से शरद पवार से मिलने पहुंचे। उधर, शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन में खटास आनी शुरू हो गई थी। राउत ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाने और सरकार बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2019 में एनसीपी के नवाब मलिक और शिवसेना के संजय राउत, ने गठबंधन का प्रयास किया और शरद पवार, कांग्रेस व उद्धव ठाकरे को साथ लाया। दशकों से दो धुरी पर रहे दलों को एक साथ लाया और महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी सरकार बनी। 2019 में महाराष्ट्र की सियासत पर गहरी नजर रखने वाले बता सकते हैं कि कैसे ट्वीटर व अन्य सोशल मीडिया पर संजय राउत व एनसीपी नेता नवाब मलिक एक दूसरे को शायरियां ट्वीट कर महाराष्ट्र की राजनीति की रणनीतियों को लोगों तक पहुंचाते और संकेत देते थे।
शिवसेना बागियों के खिलाफ भी मोर्चा संभाले थे राउत
बीते दिनों शिवसेना में बगावत हुई। एकनाथ शिंदे की अगुवाई में 39 शिवसेना विधायकों ने बगावत कर दी तो संजय राउत ही थे जो मुखर होकर मोर्चा संभाले थे। हालांकि, शिंदे को बीजेपी का साथ मिला और उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
अब मुश्किल में संजय राउत...
हालांकि, अब संजय राउत की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। क्राइम रिपोर्टर से राजनेता बने संजय राउत पर पात्रा चॉल घोटाला केस में ईडी पूछताछ कर रही है। संजय राउत पर आरोप है कि घोटाले के आरोपी प्रवीण राउत के खाते से उनकी पत्नी के खाते में पैसों का ट्रांजेक्शन हुआ है। उन पैसों से वह दादर में एक फ्लैट भी खरीदे हैं जिसको रविवार को ईडी ने जब्त कर लिया है। रविवार को राउत के घर ईडी ने रेड किया। दरअसल, उन पर दो बार समन के बाद भी पेश नहीं होने का आरोप है। करीब नौ घंटे की पूछताछ के बाद ईडी ने उनको हिरासत में लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय के ऑफिस लेकर आई। यहां उनसे पूछताछ चल रहा है। माना जा रहा है कि उनको यहां अरेस्ट किया जाएगा।
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पात्रा चॉल जमीन घोटाला क्या है?
पात्रा चॉल मुंबई के गोरेगांव में बनी है। यह महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी (MHADA) की जमीन है। इसमें 1034 करोड़ का घोटाला होने का आरोप है। जिस जमीन पर ये फ्लैट रिडेवलप होने थे, उसका एरिया 47 एकड़ था। गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन ने MHADA को धोखे में रख बिना फ्लैट बनाए ही ये जमीन 9 बिल्डरों को बेच दी। इससे उसे 902 करोड़ रुपए मिले। बाद में गलत तरीके से कमाए इन पैसों का एक हिस्सा अपने करीबी सहयोगियों को ट्रांसफर कर दिया। आरोप है कि रियल एस्टेट कारोबारी प्रवीण राउत ने पात्रा चॉल में रह रहे लोगों से धोखा किया। एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस भूखंड पर 3000 फ्लैट बनाने का काम मिला था। इनमें से 672 फ्लैट पहले से यहां रहने वालों को देने थे। बाकी MHADA और उक्त कंपनी को दिए जाने थे। लेकिन 2011 में इस जमीन के कुछ हिस्सों को दूसरे बिल्डरों को बेच दिया गया। 2020 में कोरोना काल के दौरान महाराष्ट्र में PMC बैंक घोटाला सामने आया था। जब इस घोटाले की जांच हो रही थी, तभी प्रवीण राउत की कंस्ट्रक्शन कंपनी का नाम सामने आया था। इसी दौरान पता चला कि बिल्डर प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी के बैंक खाते से संजय राउत की पत्नी वर्षा के खाते में 55 लाख रुपए भेजे गए थे।। ED की टीम इसी बात की जांच कर रही है कि ये ट्रांजेक्शन क्यों किया गया। आरोप है कि संजय राउत ने इसी पैसों से दादर में एक फ्लैट खरीदा था।
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