
Pahalgam Terror Attack aftermath: पहलगाम आतंकी हमले से पूरे देश में गम और गुस्सा है। कभी देश के बाकी हिस्सों से अलग-थलग रहने वाला कश्मीर अब पूरे देश के गम में शामिल होता तो दिख ही रहा है, आतंकवाद के खिलाफ यहां की आवाम से लेकर सरकार तक एकजुटता दिखाते हुए आवाज उठा रहे। यह बदले हुए कश्मीर की तस्वीर है। आतंकी हमले में मारे गए लोगों के गम में आम कश्मीरी शरीक हो रहा है, अपनी मेजबानी के दौरान हुए इस हादसा पर अफसोस जता रहा। कश्मीरियत के साथ इंसानियत का पैगाम दे रहा, यह संदेश दे रहा कि दुनिया की सबसे खूबसूरत सरजमीं पर दहशतगर्दी को कोई पनाह नहीं मिलने वाली, भारत एकजुट था और एकजुट ही रहेगा।
पहलगाम हमले के बाद पूरे देश के साथ ही जम्मू-कश्मीर के तमाम इलाकों में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना प्रकट करने के लिए कैंडल मार्च निकाला गया। कश्मीरियों ने पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताते हुए मेजबान होने की वजह से अफसोस जताते हुए माफी तक मांगी। उनकी पीड़ा को अपने दु:ख-दर्द से जोड़ा। कई क्षेत्रों में आतंकवाद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। सबसे अहम बात यह रही कि इसमें सियासी पार्टियों के अलावा आमजन शामिल रहे। वे लोग शामिल रहे जिनको सियासत से कोई खास मतलब नहीं।
पहलगाम (Pahalgam Terror Attack) में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भी सोमवार को सियासत गायब मिली, दलीय सीमाओं और वैचारिक मतभेदों से परे यहां एक बेहद भावुक माहौल देखने को मिला। सबके चेहरे पर पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए टूरिस्टों को लेकर अफसोस और पीड़ा साफ झलक रही थी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने तो पूरे कश्मीर की ओर से अपनी बात रखते हुए सबको भावुक कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरा देश इस जघन्य हमले के दर्द में डूबा हुआ है। यह आतंक के अंत की शुरुआत हो सकती है। उन्होंने ने हमले में मारे गए 26 लोगों के नाम और उनके राज्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि अरुणाचल से गुजरात और जम्मू से केरल तक पूरा देश इस हमले से आहत हुआ है। जम्मू-कश्मीर में एक उम्मीद जगी थी कि अब ऐसे हमले नहीं होंगे लेकिन बाइसरण (Baisaran Attack) की घटना ने फिर से डर का माहौल पैदा कर दिया। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चूंकि, सुरक्षा व्यवस्था हमारी सरकार के अधीन नहीं है लेकिन बतौर मुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री मैंने इन सैलानियों का स्वागत किया था। उनकी सुरक्षित वापसी मेरी जिम्मेदारी थी जिसमें मैं असफल रहा। उन्होंने मासूम बच्चों, एक नए शादीशुदा नेवी अधिकारी की विधवा और अन्य पीड़ितों का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके सवालों का कोई जवाब उनके पास नहीं था। उन्हें नहीं पता कि वह हमले के पीड़ितों के परिवारों से कैसे माफी मांगेंगे, क्योंकि वह उन्हें सुरक्षित घर नहीं भेज पाए। इस घटना ने पूरे देश को प्रभावित किया। हमने अतीत में ऐसे कई हमले देखे हैं... बैसारण में 21 साल बाद इतने बड़े पैमाने पर हमला किया गया है। मुझे नहीं पता था कि मृतकों के परिवारों से कैसे माफी मांगूं... मेजबान होने के नाते, पर्यटकों को सुरक्षित वापस भेजना मेरा कर्तव्य था। मैं ऐसा नहीं कर सका। मेरे पास माफी मांगने के लिए शब्द नहीं हैं... मैं उन बच्चों से क्या कहूं जिन्होंने अपने पिता को खोया और एक पत्नी को जिसने अपने पति को खोया, जिसकी कुछ दिन पहले ही शादी हुई थी? उन्होंने पूछा कि हमारी क्या गलती थी; हम बस छुट्टियों के लिए आए थे।
मुख्यमंत्री ने आतंकवादियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि यह हमला हमारे लिए किया गया, उनसे पूछना चाहता हूं - क्या हमने यह मांगा था? क्या हमने कहा था कि 26 निर्दोषों की जान ली जाए? उन्होंने जोर देकर कहा कि कश्मीर (Kashmir) की जनता इस हमले के खिलाफ है और यह हमला पूरे समाज को भीतर तक झकझोर गया है। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह पहली बार है जब जम्मू-कश्मीर के हर कोने से आतंकवाद के खिलाफ स्वतःस्फूर्त विरोध प्रदर्शन (Kashmir Protest Against Terrorism) हुए। "कठुआ से कुपवाड़ा तक, हर गांव और कस्बे में लोगों ने कहा - 'Not in my name'। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का अंत बंदूक से नहीं बल्कि लोगों का दिल जीतकर किया जा सकता है। इस जनता के गुस्से को संभालना जरूरी है और किसी भी ऐसे कदम से बचना चाहिए जो लोगों को हमसे दूर कर दे।
अपने भाषण में उमर अब्दुल्ला ने पोनी राइड ऑपरेटर सैयद आदिल हुसैन शाह (Syed Adil Hussain Shah) का भी जिक्र किया, जिन्होंने पर्यटकों को बचाते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी। साथ ही उन्होंने उन कश्मीरी स्थानीयों की भी सराहना की जिन्होंने घायल सैलानियों को कंधों पर उठाकर अस्पताल पहुंचाया, फ्री राइड्स और होटल स्टे ऑफर किए।
मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि हमले के बाद देश के कुछ हिस्सों में कश्मीरी छात्रों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन उन राज्य सरकारों का भी आभार जताया जिन्होंने स्थिति को नियंत्रण में रखा।
हमले के बाद पहली बार सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच एकजुटता नजर आई। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा (Sunil Sharma) ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री की तत्काल प्रतिक्रिया और विधानसभा अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर (Abdul Rahim Rather) द्वारा विशेष सत्र बुलाने के फैसले की सराहना की।