Jammu Kashmir Statehood: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहलगाम हमले को नहीं कर सकते नजरअंदाज

Vivek Kumar   | ANI
Published : Aug 14, 2025, 07:31 PM IST
The Supreme Court of India (Photo/ANI)

सार

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य का दर्जा देने से पहले वहां के हालात पर विचार करना होगा। पहलगाम जैसी घटनाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

Jammu Kashmir: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि राज्य का दर्जा देने के मामले में जमीनी हालात पर विचार करना होगा। चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, "आप पहलगाम में जो हुआ उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते।"

तुषार मेहता बोले- जम्मू-कश्मीर में माहौल खराब करने का समय नहीं

केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार ने चुनाव के बाद राज्य का दर्जा देने का आश्वासन दिया था, लेकिन वहां एक विशेष स्थिति है। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव संविधान पीठ से किए गए वादे के अनुसार हुए। उन्होंने कहा, "यह याचिकाकर्ताओं के लिए माहौल खराब करने का समय नहीं है।"

याचिकाओं ने कहा- केंद्र सरकार ने पूरा नहीं किया वादा

मेहता ने इस मुद्दे पर सरकार से निर्देश लेने के लिए आठ हफ्ते का समय मांगा। सुप्रीम कोर्ट केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाओं में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर को यथाशीघ्र समयबद्ध तरीके से पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए उचित निर्देश पारित किए जाने आवश्यक हैं, जैसा कि भारत सरकार ने वचन दिया था।

कॉलेज शिक्षक जहूर अहमद भट और कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद मलिक द्वारा दायर याचिकाओं में कहा गया है कि सॉलिसिटर जनरल द्वारा जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिए जाने के बावजूद, अनुच्छेद 370 मामले में फैसले के बाद के वर्षों में केंद्र ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है।

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संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को बताया था वैध

बता दें कि 11 दिसंबर 2023 को 5 जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के 2019 के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले की वैधता को बरकरार रखा था। बताया कि अनुच्छेद 370 "अस्थायी प्रावधान" है। सुप्रीम कोर्ट ने तुषार मेहता की इस बात पर ध्यान दिया था कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छोड़कर, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। निर्देश दिया था कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर की विधानसभा के चुनाव कराने के लिए कदम उठाए जाएं।

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