कुमारस्वामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद एनडीए कुनबा का हिस्सा बनने की घोषणा की है।
JDS joins NDA: कर्नाटक में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस ने एनडीए में शामिल होने का ऐलान किया है। देवेगौड़ा के बेटे पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने जनता दल सेक्युलर ज्वाइन करने का फैसला किया है। कुमारस्वामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने के बाद एनडीए कुनबा का हिस्सा बनने की घोषणा की है।
केवल शामिल होने की सूचना, अभी सीट शेयरिंग नहीं
एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस के एनडीए में शामिल होने की जानकारी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीटर पर पोस्ट की है। नड्डा ने दो फोटोज पोस्ट किए हैं, एक में वह चर्चा करते नजर आ रहे तो दूसरे में जेडीएस नेताओं द्वारा अमित शाह व जेपी नड्डा को शॉल ओढ़ाए जाने के बाद ग्रुप फोटो है। नड्डा ने लिखा कि मुझे खुशी है कि जेडीएस ने एनडीए का हिस्सा बनने का फैसला किया है। हम तहे दिल से उनका स्वागत करते हैं। इससे एनडीए और पीएम नरेंद्र मोदीजी के 'न्यू इंडिया, स्ट्रांग इंडिया' के दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी। हालांकि, कुमारस्वामी ने कहा कि सीटों के बंटवारे पर अभी फैसला नहीं हो सका है। इसको लेकर चर्चा जारी है।
जेडीएस और बीजेपी ने 2007 में गठबंधन से बनाई थी सरकार
जेडीएस और भाजपा ने 2007 में सरकार बनाने के लिए गठबंधन किया था। हालांकि, यह गठबंधन 20 महीने बाद गिर गया। उस समय बीजेपी ने दावा किया था कि कुमारस्वामी सीएम पद साझा करने के समझौते का सम्मान करने में विफल रहे थे। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीएस ने खराब प्रदर्शन किया। जेडीएस को केवल एक लोकसभा सीट पर जीत मिली और राज्य में नौ प्रतिशत वोट हासिल किए। जबकि इस बार हुए विधानसभा चुनाव में 14 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 19 सीटें हासिल की जो पहले की 37 सीटों से काफी कम है। बीजेपी को इस बार विधानसभा चुनाव में 36 प्रतिशत वोट मिला।
जेडीएस का 8 लोकसभा सीटों पर मजबूत प्रभाव
जेडीएस का पुराने मैसूर क्षेत्र के आठ लोकसभा क्षेत्रों में काफी प्रभाव है। इनमें मांड्या, हासन, बेंगलुरु (ग्रामीण) और चिकबल्लापुर सीटें शामिल हैं। इन 8 सीटों में तुमकुर भी शामिल है जहां जेडीएस संरक्षक एचडी देवेगौड़ा 2019 में चुनाव लड़े थे और हार गए। दरअसल, बीजेपी इन 8 सीटों के साथ वोक्कालिंगा वोटर्स पर जेडीएस का प्रभाव हासिल कर बीजेपी खुद को मजबूत करना चाहती है। क्योंकि कांग्रेस इन वोटर्स में पहले से पकड़ बनाने के साथ बीजेपी के परंपरागत वोटों में भी सेंधमारी कर चुकी है।
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