जस्टिस रंजन गोगोई देश के सबसे विवादित अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने के बाद 17 नवंबर को रिटायर हो गए। जस्टिस रंजन गोगोई ने रिटायर होने के बाद भी मिसाल पेश की है।
नई दिल्ली. जस्टिस रंजन गोगोई देश के सबसे विवादित अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाने के बाद 17 नवंबर को रिटायर हो गए। जस्टिस रंजन गोगोई ने रिटायर होने के बाद भी मिसाल पेश की है। दरअसल, 17 नवंबर को रिटायरमेंट के बाद 20 नवंबर को जस्टिस गोगोई ने सरकारी बंगला खाली कर दिया। इस बंगले को खाली करने के लिए उनके पास एक महीने की डेडलाइन थी।
जस्टिस रंजन गोगोई को 5 कृष्ण मेनन मार्ग बंगला मिला था। इसे उन्होंने सिर्फ तीन दिन के भीतर खाली कर दिया और गुवाहाटी स्थित अपने पैतृक घर चले गए। संभवता गोगोई पहले चीफ जस्टिस हैं, जिन्होंने इतने कम वक्त में बंगला खाली किया। इससे पहले पूर्व चीफ जस्टिस खेहर ने 7 दिन में बंगला खाली किया था।
रिटायरमेंट से पहले सुनाए कई अहम फैसले
जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने 9 नवंबर को अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। बेंच ने विवादित जगह पर रामलला का मालिकाना हक बताया। साथ ही 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन मुस्लिम पक्ष को देने के लिए कहा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर मंदिर निर्माण के लिए समिति बनाने का भी आदेश दिया है।
इस फैसले के अलावा जस्टिस गोगोई ने रिटायर होने से पहले अंतिम दिनों में राफेल, राहुल गांधी पर अवमानना का मामला, सबरीमाला और चीफ जस्टिस का ऑफिस आरटीआई के दायरे में आने संबंधित मामलों पर फैसला सुनाया।