दूसरी चिट्ठी के बाद राज्यपाल से मिलने पहुंचे कमलनाथ, कहा- भाजपा विधानसभा में लाए अविश्वास प्रस्ताव

मध्यप्रदेश में जारी सियासी उठापटक अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई है। विधानसभा की कार्यवाही टलने के बाद भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 48 घंटे में फ्लोर टेस्ट कराए जाने की मांग की है। 

भोपाल.  मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री दूसरे पत्र के बाद राज्यपाल टंडन से मिलने पहुंचे। मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, मैंने राज्य की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर चर्चा की। इस दौरान मैंने उन्हें अभिभाषण के लिए धन्यवाद भी दिया।मैंने उनसे कहा दिया है, हम जो भी करेंगे, वह संविधान के दायरे में रहकर करेंगे। बीजेपी हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई। लेकिन हमारे पास आज भी नंबर हैं। जो लोग कह रहे हैं हमारे पास नंबर नहीं, वे हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएं। हम फ्लोर टेस्ट क्यों दें। 16 बागी विधायकों की क्या समस्या है, वे सबके सामने बताएं।

आगे क्या हो सकता है?

Latest Videos

सुप्रीम कोर्ट जल्द फ्लोर टेस्ट कराने को कह सकती है!

स्पीकर के सदन को स्थगित कराने के तुरंत बाद भाजपा सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुकी है। भाजपा की मांग है कि कोर्ट विधानसभा स्पीकर को जल्द फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 26 मार्च से पहले भी फ्लोर टेस्ट हो सकता है।

स्पीकर के पास क्या विकल्प? 

इस पूरे मामले में स्पीकर की भूमिका अहम है। स्पीकर या तो विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर ले या फिर उन्हें अयोग्य करार दे। जैसा कर्नाटक में हुआ था। अगर स्पीकर अयोग्य करार देते हैं तो ये सीटें खाली मानी जाएंगीं और ऐसे में कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ जाएगी। जिसके बाद विधानसभा सीटों की स्थिति से भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी और सरकार बनाने का न्यौता मिलेगा।  इन 22 सीटों पर दोबारा चुनाव होंगे। इसके अलावा स्पीकर अपने फैसले में देरी कर सकते हैं, जिससे बागी विधायकों को मनाया जा सके। 

राज्यपाल की क्या है भूमिका? 

विधानसभा का गठन होने के बाद सदन की कार्यवाही में स्पीकर की भूमिका अहम होती है। लेकिन राज्यपाल एक निश्चित समय तक फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कह सकते हैं। 

क्या राष्ट्रपति शासन लगेगा?

अगर स्पीकर और राज्य सरकार जानबूझकर फ्लोर टेस्ट कराने में देरी करते हैं तो प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता बताते हुए राज्यपाल सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में तीन बड़े दलों को न्योता देने के बाद जब सरकार नहीं बनी थी तो राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। जिसके बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। 

इसे उस वक्त हटाया गया था, जब अचानक से देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री और अजीत पवार ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इससे पहले कश्मीर में जब भाजपा के पीडीपी से समर्थन वापस लेने के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने सरकार बनाने की कोशिश की थी तो राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया था।

Share this article
click me!

Latest Videos

'ये सरकार ने जान बूझकर...' संभल में बवाल पर अखिलेश का सबसे बड़ा दावा, कर देगा हैरान
संभल जामा मस्जिद: क्यों उग्र हो गई भीड़, हालात हुए तनावपूर्ण । Sambhal Jama Masjid Dispute
'मैं आधुनिक अभिमन्यु हूं...' ऐतिहासिक जीत पर क्या बोले देवेंद्र फडणवीस । Maharashtra Election 2024
महाराष्ट्र में महायुति की ऐतिहासिक जीत के साथ महा विकास अघाड़ी को लगा है एक और जबरदस्त झटका
'बसपा अब नहीं लड़ेगी कोई उपचुनाव'BSP Chief Mayawati ने खुद बताई बड़े ऐलान की वजह