Kanwar Yatra: नेमप्लेट विवाद पर BJP का पलटवार, पूछा- क्या साम्प्रदायिक थे मनमोहन

उत्तर प्रदेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के रूट पर खाने-पीने की चीजें बेचने वालों के लिए दुकान के आगे दुकानदार के नाम का बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है। इसपर खूब राजनीति हो रही है। भाजपा और INDIA ब्लॉक आमने-सामने है।

 

Vivek Kumar | Published : Jul 20, 2024 9:12 AM IST / Updated: Jul 20 2024, 02:50 PM IST

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश सरकार ने निर्देश दिया है कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) रूट पर स्थित भोजनालयों के मालिक नेमप्लेट लगाएं। इसमें मालिक का नाम लिखा होना चाहिए। इसपर विवाद चल रहा है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इसे भाजपा की "विभाजनकारी राजनीति" बताया है।

इसके बाद भाजपा की ओर से भी पलटवार किया गया है। भाजपा नेताओं ने 2006 के उस कानून का हवाला दिया है कि जिसमें कहा गया था कि सभी ढाबा और रेस्टोरेंट मालिकों को अपना नाम और लाइसेंस नंबर बड़े अक्षरों में लगाना होगा, ताकि ग्राहक आसानी से देख सकें। इस नियम का जिक्र करते हुए भाजपा नेता पूछ रहे हैं कि उस समय केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। क्या वह साम्प्रदायिक थे? उस वक्त उत्तर प्रदेश के सीएम समाजवादी पार्टी के दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव थे। उन्होंने इसे लागू किया था।

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उत्तर प्रदेश सरकार ने 2006 के कानून के आधार पर दिया निर्देश

भाजपा की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने 2006 के कानून के आधार पर निर्देश दिया है। यूपीए सरकार द्वारा लाए गए नियम की तस्वीर शेयर करते हुए भाजपा ने सवाल किया है कि विपक्ष इसे मुद्दा क्यों बना रहा है? एक बीजेपी नेता ने कहा, "सरकार के निर्देश में मालिकों से कहा गया है कि वे रेस्टोरेंट के बाहर अपना नाम लिखें। विपक्ष के लोग इसे सिर्फ मुसलमानों तक ही सीमित क्यों रख रहे हैं? यह नियम यूपीए सरकार ने 2006 में बनाया था।"

भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस के लोग डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस को यह बर्दाश्त नहीं कि सत्ता से बाहर रहे। इसी वजह से वह लोगों को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं।

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा-मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार करने की है मंशा

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, "कांवड़ यात्रा के रूट पर मौजूद सभी ठेला वालों, होटल वालों और ढाबा वालों से कहा गया है कि वे अपना नाम लिखें। इसके पीछे की मंशा साफ है। आप समझ गए होंगे। हिंदू कौन है मुसलमान कौन है। इसमें जाति की मंशा भी हो सकती है कि कहीं दलित तो नहीं है।"

पवन खेड़ा ने कहा, "इसके पीछे मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार करने की मंशा है। हम इस मंशा को कामयाब नहीं होने देंगे। ये हमारे आपके घरों में घुसकर तय करना चाहते हैं कि कौन क्या खाएगा, किससे खरीदेगा, क्या कपड़े पहनेगा, किस भाषा में बोलेगा।" दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस के नेता शांतनु सेन ने कहा कि भाजपा धर्म के आधार पर विभाजनकारी राजनीति करने में माहिर है।

कैसे शुरू हुआ भोजनालयों के मालिकों के नाम लिखने का विवाद?

बता दें कि इस सप्ताह मुजफ्फरनगर पुलिस ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों से कहा कि वे दुकान के सामने बोर्ड पर अपना नाम लिखें। इसके बाद विवाद शुरू हो गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को पूरे राज्य में इस आदेश को लागू कर दिया। भाजपा ने सीएम योगी आदित्यनाथ का बचाव करते हुए कहा कि कांवड़ यात्रियों की पवित्रता बनाए रखने के लिए ये निर्देश दिए गए हैं।

यह भी पढ़ें- कांवड़ यात्रा और नेम प्लेटः योगी पर क्यों बरसे अखिलेश, प्रियंका ने बताया अपराध

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, "राज्य सरकार ने स्थानीय प्रशासन की गाइडलाइन से पैदा हुए भ्रम को दूर किया है। कांवड़ यात्रियों की श्रद्धा को देखते हुए सभी के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसे सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए। समाज की सुरक्षा और सद्भाव हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। सांप्रदायिक संघर्ष देश या किसी भी समुदाय के हित में नहीं है।"

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