दिग्विजय सिंह के 'एक देश-दो विधान' पोस्ट पर बवाल, बीजेपी ने उनको बताया 'मौलाना'

Published : Jul 16, 2025, 06:40 PM ISTUpdated : Jul 16, 2025, 06:41 PM IST
Digvijay Singh

सार

Kanwar Yatra vs Namaz Row: दिग्विजय सिंह के 'वन कंट्री, टू लॉज़?' सवाल ने कांवड़ यात्रा और नमाज़ को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने इसे हिंदू विरोधी बताया, तो कांग्रेस ने संविधान की बराबरी का हवाला दिया।

Kanwar Yatra vs Namaz Row: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) ने सोशल मीडिया पर दो तस्वीरें साझा कर एक बार फिर सियासत को गर्म कर दिया है। एक तस्वीर में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra) से रास्ता जाम है, जबकि दूसरी में लोग नमाज़ अदा कर रहे हैं। उन्होंने इसे कैप्शन दिया – One country, two laws? यानी एक देश-दो विधान। इस पोस्ट पर राजनीति गरमाने के बाद बीजेपी ने पलटवार करते हुए पूर्व सीएम को मौलाना करार दिया।

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बीजेपी का पलटवार: 'सनातन धर्म का अपमान'

दिग्विजय सिंह की इस पोस्ट पर बीजेपी भड़क गई। राज्य सरकार में मंत्री विश्वास सारंग (Vishwas Sarang) ने दिग्विजय सिंह पर तीखा हमला करते हुए कहा कि दिग्विजय सिंह लगातार सनातन धर्म का अपमान करते हैं। वह त्योहारों, साधु-संतों और आस्था का मजाक उड़ाते हैं। कांवड़ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन को विवादित बनाना उनकी हिंदू विरोधी राजनीति का हिस्सा है। सारंग ने उन्हें मौलाना दिग्विजय सिंह तक कह दिया और आरोप लगाया कि वे हमेशा मुस्लिम पक्ष में बोलते हैं और हिंदू मामलों का विरोध करते हैं।

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‘क्षमा मांगें या कार्रवाई झेलें’: बीजेपी की चेतावनी

सारंग ने आगे कहा कि यदि बार-बार हिंदू त्योहारों को निशाना बनाया गया तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने दिग्विजय सिंह से माफी की मांग की।

कांग्रेस ने कहा-'संविधान की बराबरी की बात है'

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता पीसी शर्मा (PC Sharma) ने दिग्विजय सिंह का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यह पोस्ट संविधान में निहित समानता के सिद्धांत पर आधारित है, जैसा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने बताया था। कांवड़ यात्रा हो या नमाज़, सार्वजनिक आयोजनों को संवाद से सुलझाना चाहिए, न कि लोगों को परेशान करके या पुलिस की निष्क्रियता से।

राजनीतिक नफरत बनाम संवैधानिक बहस

यह विवाद एक बार फिर भारत में सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक आयोजनों, प्रशासनिक निष्पक्षता और 'चुनिंदा विरोध' की बहस को हवा दे रहा है। बीजेपी जहां इसे 'तुष्टिकरण की राजनीति' बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे 'संवैधानिक जिम्मेदारी और सवाल उठाने का अधिकार' कह रही है।

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