Kargil Vijay Diwas 2023: रोज कितनी गोलियां चलीं-कितने रॉकेट दगते थे, जानें कारगिल युद्ध से जुड़े 12 अनजाने फैक्ट्स
हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) मनाया जाता है। भारतीय सेना के पराक्रम से यह दिन इतिहास में अमर हो गया है।
Manoj Kumar | Published : Jul 21, 2023 7:53 AM IST / Updated: Jul 26 2023, 07:32 AM IST
Kargil Vijay Diwas 2023. कारगिल का वह युद्ध 18 हजार फीट की ऊंचाई पर करीब 2 महीने तक लड़ा गया था। भारतीय सेना के जवानों ने अदम्य साहस और वीरता प्रदर्शित करते हुए भारतीय चोटियों पर से पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कारगिल युद्ध के दौरान रोजाना कितनी गोलियां चलती थी। रोज कितने रॉकेट लांचर दागे जाते थे? आइए हम आपको बताते हैं कारगिल युद्ध से जुड़े कुछ अनजाने फैक्ट्स।
कारगिल युद्ध में भारत के 527 वीर सैनिकों ने शहादत दी थी। वहीं पाकिस्तान के 1000 से 1200 सैनिक कारगिल युद्ध की भेंट चढ़े थे। भारत के 1300 से ज्यादा सैनिक इस युद्ध में घायल हुए थे।
कारगिल युद्ध के दौरान रोजाना करीब 5000 आर्टिलरी शेल्स, मोर्टार बम और रॉकेट फायर किए जाते थे। रोजाना करीब 300 बंदूकों से गोलियां बरसाई जाती थी।
कारगिल युद्ध के सबसे दुर्गम टाइगर हिल को जीतने के लिए भारतीय सेना ने 9000 गोलियां दागीं थी। भारतीय सेना के जवान गोलियां दागते हुए टाइगर हिल की तरफ बढ़ते रहे और फतह हासिल की।
भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान स्थानीय चरवाहों की मदद ली और घुसपैठ के एक-एक प्वाइंट को पाकिस्तान के कब्जे से वापस ले लिया था।
क्या आप जानते हैं कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे से पहले कारगिल लद्दाख के बाल्टिस्तान जिले का हिस्सा था। 1947-48 में पहले कश्मीर युद्ध के बाद यह लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) से अलग किया गया।
3 मई 1999 को पाकिस्तान की तरफ से यह युद्ध शुरू किया गया। तब पाकिस्तान के करीब 5000 सैनिकों ने भारत की ऊंची-ऊंची चोटियों पर कब्जा जमा लिया था।
भारत सरकार को जब यह जानकारी मिली तो ऑपरेशन विजय लांच किया गया। इस युद्ध से पहले भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध हुआ था, जिसमें बांग्लादेश को अलग देश घोषित किया गया।
1998-99 की सर्दियों के दौरान पाकिस्तान ने कारगिल वार के लिए सैनिकों और गोला-बारूद की तैनाती शुरू कर दी थी। उनका इरादा सियाचीन ग्लेशियर को कब्जे में लेने का था।
कारगिल युद्ध के दौरान पहले तो पाकिस्तान यह मानने से इंकार करता रहा कि वहां उनके सैनिक हैं। पाकिस्तान कहता था कि मुजाहिदीन हैं। पाकिस्तान इससे दुनिया का ध्यान खींचना चाहता था कि उस एरिया को विवादित बता सके।
1971 के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच कई बार मीलिट्री तनाव पैदा हुआ। 1998 में न्यूक्लियर टेस्ट के बाद यह तनाव बढ़ गया था। लेकिन फरवरी 1999 में दोनों देशों ने लाहौर में घोषणापत्र पर दस्तखत किए।
लाहौर घोषणापत्र में इस बात पर सहमति बनी थी कि दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे का हल शांति के साथ और बातचीत के रास्ते होगा। लेकिन उसी साल पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध छेड़ दिया।
पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध को ऑपरेश बद्र का नाम दिया था। भारत ने ऑपरेशन विजय के माध्यम से यह जंग जीती। भारतीय सेना के कई जवानों ने जान दे दी लेकिन पाकिस्तान को खदेड़ दिया।