आज 26 जुलाई है। 21 साल पहले आज ही के दिन भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। तिरंगे की शान के लिए भारत के 500 से ज्यादा वीर सपूतों ने अपने खून का आखिरी कतरा तक बहा दिया था। करगिल युद्ध में शहीद हुए इन जवानों की याद में 26 जुलाई को देश विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नई दिल्ली. आज 26 जुलाई है। 21 साल पहले आज ही के दिन भारत के वीर जवानों ने पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। तिरंगे की शान के लिए भारत के 500 से ज्यादा वीर सपूतों ने अपने खून का आखिरी कतरा तक बहा दिया था। करगिल युद्ध में शहीद हुए इन जवानों की याद में 26 जुलाई को देश विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 2009 तक यह दिवस नहीं मनाया जाता था।
1999 में युद्ध हुआ था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने 2009 तक शहीदों को याद ही नहीं रखा। इसके बाद 2009 में भाजपा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने इस मुद्दे को संसद में उठाया था।
कांग्रेस शासन में 5 साल नहीं मना दिवस
राजीव चंद्रशेखर ने सदन में इस मुद्दे को लगातार उठाया। इसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कारगिल विजय दिवस का जश्न मनाया। एंटनी ने तब से रक्षा मंत्री के इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर जाने का रीति रिवाज शुरू किया। सत्ता में आने के 5 साल बाद 2009 में पहली बार विजय दिवस मनाया गया। वहीं, इससे पहले प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने कार्यकाल में विजय दिवस मनाते रहे हैं। वे इंडिया गेट पर पुष्पांजलि समारोह रखकर इसे मनाते थे। लेकिन जब कांग्रेस की सरकार आई तो इसे नहीं मनाया गया।
भाजपा सांसद ने पत्र लिखकर की थी मांग
चंदशेखर ने 2009 में एंटनी को लिखे पत्र में कहा था, "मैं 26 जुलाई, करगिल में दुश्मनों पर हमारी सेना की जीत की 10 वीं वर्षगांठ पर माननीय सदस्यों का ध्यान आकर्षित करता हूं।" उन्होंने पत्र लिखा था कि भारतीय के तौर पर, इन वीर जवानों के बलिदान और कर्तव्य को याद रखना हमारा कर्तव्य है।
राजीव चंद्रशेखर ने रक्षा मंत्री को लिखा था यह लेटर
कई पत्रों के बाद एंटनी ने दिया था जवाब
राजीव चंद्रशेखर के कई पत्रों के बाद एके एंटनी ने पत्र के जवाब में लिखा था, 'शहीदों के सम्मान में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जाएगा (पहली बार यह 2009 में आयोजित किया गया था) इस साल (26 जुलाई, 2010) को अमर जवान ज्योति पर हुआ।'
राजीव चंद्रशेखर ने दी श्रद्धांजलि