करगिल का वो हीरो जिसने काट दिया पाकिस्तानी मेजर का सिर, दुश्मन के 48 सैनिकों को मार लहराया था तिरंगा

26 जुलाई को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के 23 साल पूरे हो गए हैं। 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को धूल चटाते हुए करगिल की जंग जीत ली थी। इस युद्ध के दौरान भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन विजय में नायक दिगेंद्र सिंह ने पाकिस्तान के 48 सैनिकों को मारते हुए तिरंगा फहराया था। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 25, 2022 9:49 AM IST / Updated: Jul 26 2022, 10:27 AM IST

Kargil Vijay Diwas: 26 जुलाई 2022 को करगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के 23 साल पूरे हो गए हैं। 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को धूल चटाते हुए जीत का तिरंगा फहराया था। 8 मई, 1999 से लेकर 26 जुलाई तक करीब ढाई महीने कश्मीर की चोटियों पर दुश्मन के साथ हमारा युद्ध हुआ। चले ऑपरेशन विजय में नायक दिगेंद्र सिंह का भारत को जीत दिलवाने में बड़ा योगदान रहा है।   

कौन हैं दिगेंद्र सिंह?
नायक दिगेंद्र महावीर चक्र विजेता है। उन्होंने करगिल युद्ध के समय जम्मू कश्मीर में तोलोलिंग पहाड़ी की बर्फीली चोटी को पाकिस्तानी घुसपैठियों से आजाद करवाकर 13 जून, 1999 की सुबह तिरंगा लहराते हुए भारत को पहली जीत दिलाई थी। करगिल युद्ध के दौरान  दिगेंद्र को 5 गोलियां लगी थीं, फिर भी उन्होंने 48 पाकिस्तानी सैनिकों और घुसपैठियों को मार गिराया था। 

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1985 में राजस्थान राइफल्स में भर्ती हुए दिगेंद्र :  
3 जुलाई, 1969 को राजस्थान के सीकर जिले में जन्में दिगेंद्र 1985 में राजस्थान राइफल्स 2 में भर्ती हुए थे। कारगिल युद्ध मे तोलोलिंग पहाड़ी पर कब्जा करना बेहद जरूरी था और इस काम की जिम्मेदारी राजपूताना राइफल्स को सौंपी गई थी। इस पर जनरल मलिक ने राजपूताना राइफल्स की टुकड़ी से तोलोलिंग पहाड़ी को आजाद कराने की योजना पूछी। तब दिगेंद्र ने कहा, मेरे पास एक आइडिया है, जिससे जीत हमें ही मिलेगी। 

पाकिस्तानी बंकर पर फेंका था हथगोला : 
हालांकि, ये काम इतना आसान भी नहीं था। क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने ऊपर चोटी पर 11 बंकर बना रखे थे। इसके साथ ही पहाड़ी पर पड़ी बर्फ की वजह से उस पर चढ़ना और भी कठिन था। लेकिन बहादुर दिगेंद्र साथियों के साथ दुश्मन के बंकर के पास पहुंच गए। उन्होंने बंकर पर एक हथगोला फेंका, जिससे पहला बंकर ध्वस्त हो गया। हालांकि, इससे पाकिस्तानी सेना अलर्ट हो गई। 

बुरी तरह जख्मी होने के बाद भी दुश्मन से लड़ते रहे : 
इसके बाद पाकिस्तान की ओर से जवाबी फायरिंग होने लगी। इस फायरिंग में दिगेंद्र के सीने में तीन गोलियां लगीं। इसके साथ ही उनका एक पैर भी बुरी तरह जख्मी हो गया। लेकिन इसके बाद भी दिगेंद्र ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने जख्मी हालत में ही पाकिस्तान के बाकी बचे 10 बंकरों में 18 हथगोले फेंके और सारे बंकर नष्ट कर दिए। 

पाकिस्तानी मेजर का सिर धड़ से कर दिया अलग : 
इसी दौरान दिगेन्द्र के सामने पाकिस्तानी मेजर अनवर खान आ गया। दिगेंद्र उस पर कूद पड़े और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। इसके बाद दिगेन्द्र लड़खड़ाते हुए ही तोलोलिंग पहाड़ी की चोटी पर पहुंचे और वहां तड़के 4 बजे तिरंगा फहरा दिया। 

2005 में सेना से रिटायर हुए थे दिगेंद्र सिंह : 
बता दें कि दिगेंद्र को इंडियन आर्मी के बेस्ट कोबरा कमांडो के तौर पर भी जाना जाता था। करगिल युद्ध में भारत की जीत के बाद दिगेद्र सिंह को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर केआर नारायणन ने 15 अगस्त, 1999 को महावीर चक्र से सम्मानित किया था। दिगेंद्र सिंह 2005 में सेना से रिटायर हुए थे। 

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कहानी 'शेरशाह' के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की, जिन्होंने करगिल युद्ध में चटाई थी पाकिस्तान को धूल

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