कर्नाटक का सीएम कौन...डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया? पर्यवेक्षकों ने सुनी विधायकों के मन की बात, खड़गे करेंगे मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान

केंद्रीय नेतृत्व ने तीन पर्यवेक्षकों को विधायकों से रायशुमारी के लिए भेजा था। विधायक दल की मीटिंग में यह तय हुआ कि राज्य सरकार की कमान सिद्धारमैया के हाथ होगा या डीके शिवकुमार नेतृत्व करेंगे। ऐलान के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे को अधिकृत किया गया।

Dheerendra Gopal | Published : May 14, 2023 1:41 PM IST / Updated: May 14 2023, 09:23 PM IST

Karnataka CLP meeting: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम (Karnataka Assembly Election Result 2023) शनिवार को घोषित किए जाने के बाद नई सरकार बनाने की तैयारियां तेज हो गई है। कांग्रेस ने बताया कि गुरुवार को नई सरकार का शपथ ग्रहण होगा। राज्य के मुख्यमंत्री पद की बागडोर कौन संभालेगा इसके लिए सीएलपी की मीटिंग बेंगलुरू के एक होटल में रविवार को हुआ। केंद्रीय नेतृत्व ने तीन पर्यवेक्षकों को विधायकों से रायशुमारी के लिए भेजा था। विधायक दल की मीटिंग में यह तय करने के लिए रायशुमारी की गई कि राज्य सरकार की कमान सिद्धारमैया के हाथ होगा या डीके शिवकुमार नेतृत्व करेंगे। विधायकों की राय पर्यवेक्षकों ने जानी और फिर तय हुआ कि विधायक दल का नेता कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चुनेंगे।

दोनों नेताओं के समर्थक जमकर किया नारेबाजी

मीटिंग स्थल के बाहर काफी संख्या में कांग्रेसी कार्यकर्ता जुटे हुए थे। यह कार्यकर्ता अपने अपने नेता के पक्ष में खूब नारेबाजी कर रहे थे। डीके शिवकुमार व सिद्धारमैया के समर्थक नारेबाजी कर शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे। दोनों दिग्गज नेता मीटिंग में मौजूद रहे।

विधायक दल की पहली मीटिंग के लिए तीन पर्यवेक्षक

कर्नाटक में कांग्रेस जीत से काफी उत्साहित है। परिणाम घोषित होने के अगले ही दिन विधायक दल की मीटिंग बुलाई गई। मीटिंग में विधायक दल के नेता का चयन किए जाने के लिए रायशुमारी की गई कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री होगा। मीटिंग के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने तीन पर्यवेक्षक भेजे थे। कांग्रेस महासचिव सुशील कुमार शिंदे, दीपक बाबरिया और जितेंद्र सिंह अलवर को कर्नाटक सीएलपी मीटिंग के लिए अधिकृत किया गया था।

तीन दशक के सारे रिकॉर्ड को कांग्रेस ने तोड़ा

कांग्रेस की जीत 30 वर्षों में सीटों और वोट शेयर दोनों के मामले में एक रिकॉर्ड है। पार्टी ने 136 सीटों पर जीत हासिल की है। यह 2018 की तुलना में 55 अधिक है। साथ ही 42.88 प्रतिशत का वोट शेयर भी हासिल किया है। कांग्रेस इस स्कोर के सबसे करीब 1999 में आई थी जब उसने 132 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर 40.84 प्रतिशत था। 1989 में, इसने 43.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 178 सीटें जीतीं। बीजेपी ने 36 फीसदी वोट शेयर के साथ 66 सीटें जीती हैं। एचडी कुमारस्वामी की जेडीएस ने 13.29 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीती हैं।

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