Karnataka Election Results: बजरंग बली से लेकर स्थानीय नेतृत्व तक, इन 5 वजहों से कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत

कर्नाटक (Karnataka Election Results) में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है। दक्षिण के इस अहम राज्य में कांग्रेस की जीत की वजहों को देखें तो बजरंग बली से लेकर स्थानीय नेतृत्व तक 5 कारण साफ नजर आते हैं।

बेंगलुरु। कर्नाटक में 224 सीटों के लिए हुए विधानसभा चुनाव में 135 सीट जीतकर कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। सत्ताधारी पार्टी सिर्फ 65 सीट जीत सकी। इस चुनाव में जनता दल (सेक्युलर) के किंगमेकर बनने का सपना अधूरा रह गया। पार्टी को 19 सीटें मिली, लेकिन कांग्रेस को मिली स्पष्ट बहुमत से वह किंगमेकर नहीं बन सकी। दक्षिण के इस अहम राज्य में कांग्रेस की जीत की वजहों को देखें तो बजरंग बली से लेकर स्थानीय नेतृत्व तक 5 कारण साफ नजर आते हैं।

1- बजरंग दल पर बैन मामले को सावधानी से संभाला

Latest Videos

कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में बजरंग दल जैसे संगठनों पर बैन लगाने का वादा किया। भाजपा ने इस मामले को हाथोंहाथ लिया। भाजपा द्वारा यह प्रचारित किया गया कि कांग्रेस बजरंग बली (भगवान हनुमान) को ताले में बंद करना चाहती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस बैकफुट पर आ गई थी। कांग्रेस ने इसे बड़ी सावधानी से संभाला। पार्टी के नेताओं ने कहा कि उनका बजरंग दल पर बैन लगाने का प्लान नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और जीत के हीरो के रूप में सामने आए डीके शिवकुमार ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो राज्यभर में बजरंग बली के मंदिरों का निर्माण किया जाएगा।

2. स्थानीय नेतृत्व की ताकत

कर्नाटक में कांग्रेस के पास सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार जैसे स्थानीय बड़े नेता हैं। इनका व्यापक जनाधार है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी कर्नाटक से हैं। इन नेताओं ने स्थानीय मुद्दों को अधिक उठाया। दूसरी ओर भाजपा के पास स्थानीय बड़े नेता की कमी थी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भ्रष्टाचार के आरोप से उबर नहीं सके। बीएस येदियुरप्पा ने चुनावी राजनीति से रिटायरमेंट ले लिया। वहीं, जगदीश शेट्टार जैसे बड़े नेता ने टिकट नहीं मिलने पर पार्टी छोड़ दी। इससे बीजेपी को जहां नुकसान हुआ वहीं, कांग्रेस को सीधा फायदा हुआ।

3. भ्रष्टाचार पर ध्यान: 40% सरकार अभियान

भाजपा सत्ता में थी। उसकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। कांग्रेस ने इसे मुख्य मुद्दा बना दिया। कांग्रेस ने पूरे प्रचार अभियान में भ्रष्टाचार पर फोकस बनाए रखा। बसवराज बोम्मई की सरकार पर 40 फीसदी कमीशन लेने का आरोप लगाया। इसके लिए पे टू सीएम अभियान भी चलाया। कांग्रेस ने जहां यह सुनिश्चित किया कि वह हर अवसर पर भाजपा नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रहे। वहीं, भाजपा भ्रष्टाचार के आरोपों से जान नहीं छुड़ा सकी। इसका असर रिजल्ट में नजर आया।

4. अमूल बनाम नंदिनी की लड़ाई
कांग्रेस ने स्थानीय बनाम बाहरी की लड़ाई को बड़ी कुशलता से आगे बढ़ाया। पार्टी ने नंदिनी (कर्नाटक का डेयरी ब्रांड) बनाम अमूल (गुजरात का डेयरी ब्रांड) की लड़ाई को आम लोगों तक पहुंचा दिया। कांग्रेस यह इमेज बनाने में कामयाब रही कि कर्नाटक के स्थानीय प्रोडक्ट को बाहरी प्रोडक्ट से नुकसान पहुंचाया जा रहा है। अमूल ने घोषणा की थी कि वह अपने उत्पादों को कर्नाटक में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेचेगी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि यह राज्य के घरेलू सहकारिता-आधारित दूध ब्रांड नंदिनी को नीचे गिराने की केंद्र की योजना है। कर्नाटक के डेयरी उद्योग पर 25 लाख से अधिक लोग निर्भर हैं।

5- नहीं होने दी राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी की चुनावी लड़ाई
कांग्रेस ने इस बात का ध्यान रखा कि चुनावी लड़ाई राहुल गांधी बनाम नरेंद्र मोदी नहीं हो। राहुल गांधी का खराब चुनावी रिकॉर्ड रहा है। भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने अपनी पूरी ऊर्जा कर्नाटक अभियान में झोंक दी। दूसरी ओर कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के आखिरी चरण से पहले तक राहुल गांधी को कर्नाटक से दूर रखा।

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

'मणिपुर को तबाह करने में मोदी साझेदार' कांग्रेस ने पूछा क्यों फूल रहे पीएम और अमित शाह के हाथ-पांव?
कानूनी प्रक्रिया: अमेरिकी न्याय विभाग से गिरफ्तारी का वारंट, अब अडानी केस में आगे क्या होगा?
'गौतम अडानी गिरफ्तार हों' Rahul Gandhi ने PM Modi पर लगाया एक और बड़ा आरोप
Congress LIVE: राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस पार्टी की ब्रीफिंग
शर्मनाक! सामने बैठी रही महिला फरियादी, मसाज करवाते रहे इंस्पेक्टर साहब #Shorts