कर्नाटक बीजेपी के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री पद से हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम बनाना पार्टी को रास नहीं आ रहा है। चुनाव के ऐन वक्त पहले बोम्मई सरकार कई प्रकार के विवादों और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर गई है। ऐसे में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं तेज हो गई हैं।
बेंगलुरू। कर्नाटक में भाजपा (BJP) के बड़े नेता बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा को विराम दे दिया है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की बात को खूब हवा दिया जा रहा था। येदियुरप्पा ने स्पष्ट रूप से कहा कि नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। बसवराज बोम्मई (Basavraj Bommai) एक सराहनीय काम कर रहे हैं। जहां तक मैं जानता हूं, कोई बदलाव नहीं होने जा रहा है।
शाह की यात्रा से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाओं को मिला बल
पिछले कुछ दिनों से बोम्मई सरकार बड़ी मुश्किलों में फंसती दिख रही है। एक ही साल बाद यहां विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बोम्मई को भी एक नए चेहरे से बदलने की चर्चा कई दिनों से सियासी गलियारों में तैर रही हैं। इसी बीच अमित शाह (Amit Shah) के प्रवास ने इसे और बल दे दिया। अमित शाह राज्य में कई कार्यक्रमों में शिरकत करने पहुंचे थे। शाह ने बेंगलुरु में बसवेश्वर सर्कल में लिंगायत संत और 12 वीं शताब्दी के कवि बसवन्ना की प्रतिमा का उद्घाटन किया।
चुनाव के पहले जनता का मूड देख बीजेपी बदल देती है सीएम
भाजपा ने हाल ही में चुनावी राज्यों विशेषकर उत्तराखंड और गुजरात के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव किए हैं। दोनों राज्यों में, जिन मुख्यमंत्रियों का भरोसा जनता में कम हुआ उन्हें बदल दिया गया था। इस साल की शुरुआत में उत्तराखंड में चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा ने सत्ता में एक और कार्यकाल जीता था। गुजरात में इस साल के अंत तक मतदान होने हैं।
येदियुरप्पा को हटाकर बोम्मई बनाए गए थे सीएम
कर्नाटक में, बसवराज बोम्मई ने 2021 में पार्टी के दिग्गज नेता बीएस येदियुरप्पा की जगह ली थी। लेकिन इन दिनों सरकार कई विवादों से घिरी हुई है। हिजाब विवाद और मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने के लिए दक्षिणपंथी समूहों द्वारा बाद में आह्वान शामिल है। बसवराज बोम्मई की सांप्रदायिक मुद्दों पर चुप्पी बनाए रखने और दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा किए गए फैसलों और जारी किए गए फरमानों के लिए हर तरफ से आलोचना की गई है।
ठेकेदार आत्महत्या केस में मंत्री को देना पड़ा इस्तीफा
अमित शाह का राज्य का दौरा एक ठेकेदार की आत्महत्या और उनके रिश्वत के आरोपों पर भारी विवाद के बाद हुआ है। इस प्रकरण में बोम्मई सरकार के एक मंत्री पर आरोप लगा है। इन आरोपों के बाद केएस ईश्वरप्पा को बोम्मई के मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया। पूर्व मंत्री के खिलाफ आरोपों को चुनावों से पहले काफी नुकसान पहुंचाने वाले के रूप में देखा जा रहा है। राज्य की ठेकेदार लॉबी से रिश्वत के आरोपों की पुष्टि के कुछ ही दिनों बाद राजनीतिक रूप से शक्तिशाली लिंगायत समुदाय के एक संत ने भी सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप जड़ दिए। दंगलेश्वर स्वामी ने आरोप लगाया था कि मठों को भी इस सरकार में नहीं बख्शा गया। स्वामी ने कहा कि उन्हें 40 प्रतिशत रिश्वत का भुगतान मठों-मंदिरों के अनुदान के लिए करना पड़ता है।
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