आईआईटी से डॉक्टरेट पति बार-बार अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने को करता था मजबूर, अश्लील फोटोज भेजता था दोस्तों को

आईआईटी मुंबई में पीएचडी करने के दौरान प्यार और फिर शादी करने वाले एक कपल के यौन संबंध बनाने के मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पति के खिलाफ मामले को खत्म करने से इनकार दिया गया है।

Dheerendra Gopal | Published : May 31, 2022 11:31 AM IST

बेंगलुरु। कर्नाटक हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति के खिलाफ मामला रद्द करने से इनकार कर दिया है जिसने अपनी पत्नी को अप्राकृतिक यौन संबंध के लिए मजबूर किया था। साथ ही, अदालत ने सोशल मीडिया पर कथित रूप से अश्लील तस्वीरें पोस्ट करने के लिए पति के खिलाफ आगे की जांच के लिए महिला की दलील को स्वीकार कर लिया है। कोर्ट के आदेश पर पीड़िता ने खुशी जताई है।

आईआईटी मुंबई में हुई थी दोनों की मुलाकात

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दोनों की मुलाकात आईआईटी मुंबई में पीएचडी करने के दौरान हुई थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच प्यार हुआ और फिर 2015 में दोनों ने शादी का फैसला किया। शादी करने के बाद दोनों बेंगलुरु में बस गए थे।

अप्राकृतिक यौन संबंध नहीं बनाने पर करता था प्रताड़ित

महिला ने आरोप लगाया कि शुरू से ही उसका पति अप्राकृतिक यौन संबंध रखने के लिए प्रताड़ित करता था। अप्राकृतिक यौन संबंध से मना करने पर वह उग्र हो जाता था। इसके बाद वह अपने माता-पिता के घर चली आई। महिला ने कोर्ट में बताया कि पति ने उसे उसके मायके से जबर्दस्ती न करने का वादा करके वापस बेंगलुरु लाया लेकिन फिर कुछ ही दिनों में उसी तरह करने लगा। जनवरी 2016 में उसने उसे स्थायी रूप से छोड़ दिया।

यौन संबंध बनाने के दौरान अश्लील तस्वीरें लेता

महिला ने आरोप लगाया कि पति ने एक दिन उसकी अश्लील तस्वीरें लेकर उसके पिता के फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट कर दी और उसके दो दोस्तों के व्हाट्सएप नंबर पर भी भेज दी। महिला ने बताया कि उसने छत्तीसगढ़ में अपने पति के खिलाफ मामला दर्ज कराया। पुलिस ने मामले को फिर बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया। पीड़िता ने अपनी सास पर भी उत्पीड़न का आरोप लगाया। हालांकि, 2019 में हाई कोर्ट ने पति की मां के खिलाफ केस को खारिज कर दिया था।

पति ने अदालत में अपने खिलाफ मामला रद्द करने की मांग की

आरोपी और उसकी पत्नी दोनों ने विभिन्न आधारों पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। पति ने अपने खिलाफ मामला रद्द करने की मांग की। पत्नी की याचिका में कहा गया है कि पुलिस द्वारा दायर आरोपपत्र में जानबूझकर उसके मामले को कमजोर किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराधों की भी ठीक से जांच नहीं की गई।

कोर्ट के पास पति की बेगुनाही के सबूत नहीं

दोनों याचिकाओं पर एक आम फैसले में, न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने फैसला सुनाया कि, "ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है जो पति द्वारा अपनी बेगुनाही का प्रदर्शन करने के लिए रिकॉर्ड पर रखा गया हो।" अदालत ने पत्नी की याचिका को स्वीकार कर लिया और पुलिस आयुक्त को एक अन्य जांच अधिकारी के माध्यम से अपराध की आगे की जांच करने का आदेश दिया। दो महीने के भीतर न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। आगे की जांच रिपोर्ट दाखिल होने तक सुनवाई जारी नहीं रहेगी।
 

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