Hijab Row:पहले भी कोर्ट कह चुका- Dress code का करना होगा का पालन, स्कूल भी TC लेने पर नहीं करेंगे कोई टिप्पणी

Published : Feb 10, 2022, 05:02 PM ISTUpdated : Feb 10, 2022, 07:02 PM IST
Hijab Row:पहले भी कोर्ट कह चुका- Dress code का करना होगा का पालन, स्कूल भी TC लेने पर नहीं करेंगे कोई टिप्पणी

सार

कर्नाटक में स्कूल में हिजाब पहनने को लेकर उठे विवाद के पहले केरल कोर्ट पहले भी स्कूल में धार्मिक ड्रेस को लेकर निर्णय सुना चुका है। कोर्ट ने किसी प्रकार के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम छात्र संस्था के व्यापक अधिकार के खिलाफ अपने व्यक्तिगत अधिकार को लागू करने की मांग नहीं कर सकते। 

नई दिल्ली। कर्नाटक में स्कूल में हिजाब (Karnataka Hijab issue) पहनने को लेकर उठे विवाद में कोर्ट तक मामला पहुंच चुका है। हालांकि, इस तरह के केस पहले भी अदालतों में पहुंच चुके हैं। साल 2018 में केरल उच्च न्यायालय इस तरह के ही एक मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए ड्रेस कोड को सही बताया। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि स्कूल ड्रेसकोड को लागू करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम छात्र संस्था के व्यापक अधिकार के खिलाफ अपने व्यक्तिगत अधिकार को लागू करने की मांग नहीं कर सकते। संस्था को तय करना है कि यूनिफार्म क्या होना चाहिए और छात्रों को इसका पालन करना होगा।

क्या कहा था कोर्ट ने?

केरल कोर्ट ने 2018 में कहा कि यह संस्था को तय करना है कि याचिकाकर्ता- फातिमा थसनीम और हाफजा परवीन को हेडस्कार्फ़ और पूरी बाजू की शर्ट के साथ कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं। इस पर निर्णय लेना विशुद्ध रूप से संस्था के अधिकार क्षेत्र में है। न्यायालय संस्था को इस तरह के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश भी नहीं दे सकता है।

क्या था याचिका में?

क्राइस्ट नगर सीनियर सेकेंड्री स्कूल थिरूवल्लम की दो छात्राओं ने हाईकोर्ट केरल का ड्रेस कोड के विरोध में दरवाजा खटखटाया था। याचिकाकर्ता- फातिमा थसनीम और हाफजा परवीन की दलील थी कि वे मुस्लिम समुदाय से हैं और इस्लामी आस्था के अनुयायी हैं। वे हेडस्कार्फ़ के साथ-साथ पूरी बाजू की शर्ट पहनना चाहते हैं। स्कूल प्राधिकरण ने पाया कि यह स्कूल प्राधिकरण द्वारा निर्धारित ड्रेस कोड के अनुरूप नहीं है।

टीसी लेने पर स्कूल नहीं करेगा टिप्पणी

अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि अगर छात्राएं ट्रांसफर सर्टिफिकेट के लिए संस्थान से संपर्क करती हैं, तो स्कूल अथॉरिटी बिना कोई टिप्पणी किए ट्रांसफर सर्टिफिकेट जारी करेगी। साथ ही अगर याचिकाकर्ता स्कूल ड्रेस कोड का पालन करने के इच्छुक हैं, तो उन्हें उसी स्कूल में बने रहने की अनुमति दी जाएगी।

दरअसल, यह मामला छात्राओं द्वारा स्कूल ड्रेस कोड के साथ स्कूल जाने के निर्देश के बाद ड्रेस कोड का पालन करने से इनकार करने से उपजा है। दरअसल, ड्रेस कोड से इनकार करते हुए छात्राओं की यह मांग है कि उन्हें हेडस्कार्फ़ और पूरी बाजू की शर्ट पहनकर कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए जो ड्रेस कोड में निर्धारित नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि किसी को भी ड्रेस कोड के मामले में अपनी धारणाओं और विश्वासों का पालन करने की स्वतंत्रता है। उसी समय, जब एक निजी संस्था के खिलाफ इस तरह के अधिकार का दावा किया जाता है, जिसके पास किसी संस्था के प्रबंधन और प्रशासन का समान मौलिक अधिकार है, तो न्यायालय को प्रतिस्पर्धी मौलिक अधिकारों को संतुलित करना होगा और इस मुद्दे का फैसला करना होगा।

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