विवादों में फिर कर्नाटक: हिजाब के बाद अब हलाल मांस पर सरकार लगा सकती है प्रतिबंध, विधानसभा में पेश होगा विधेयक

Published : Dec 20, 2022, 07:41 PM IST
विवादों में फिर कर्नाटक: हिजाब के बाद अब हलाल मांस पर सरकार लगा सकती है प्रतिबंध, विधानसभा में पेश होगा विधेयक

सार

सीटी रवि ने दावा किया है कि अगर राज्य में हलाल मांस प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध लग जाए और सरकार कोई मान्यता प्राप्त प्राधिकरण को नियुक्त करे तो इससे अतिरिक्त राजस्व आय होगा।

Halal meat ban: पिछले कुछ महीनों में कर्नाटक लगातार विवादों में रहा है। अभी हिजाब विवाद थमा भी नहीं है कि एक और बड़ा विवाद खड़ा होता दिख रहा है। राज्य में शुरू हुए विधानसभा सत्र में हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाने के लिए विधयेक लाया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि इस विधेयक के पेश करते ही एक बार फिर सदन से लेकर सड़क पर विवाद खड़ा हो जाएगा। सरकार के कार्यकाल का यह आखिरी सत्र है। अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने विधेयक को समर्थन या विरोध अभी नहीं किया है। 

मुख्यमंत्री बोले-अभी तय नहीं विधेयक को क्या करेंगे

बीजेपी विधायक सीटी रवि, हलाल मांस के प्रतिबंध को लेकर सदन में निजी विधेयक पेश करने के प्रस्ताव का ऐलान पहले ही कर चुके हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस विधेयक पर अभी साफ-साफ कुछ नहीं कहा है। उन्होंने बताया कि सरकार ने अभी तय नहीं किया है कि इस विधेयक पर क्या करना है। सदस्य का यह निजी विधेयक है, उनके पेश करने के बाद सरकार अपना निर्णय लेगी। 

कौन हैं सीटी रवि कुमार?

विधान परिषद सदस्य सीटी रवि कुमार, बीजेपी के राज्य इकाई के महासचिव भी हैं। वह हलाल मांस पर प्रतिबंध के लिए पहले भी राज्यपाल को चिट्ठी लिख चुके हैं। निजी विधेयक पेश करने जा रहे सीटी रवि ने कहा कि हलाल प्रमाणीकरण मुस्लिम निकायों द्वारा किया जाता है जो सर्टिफिकेशन के लिए काफी अधिक शुल्क लेते हैं और भारी मुनाफा भी कमा रहे हैं। लेकिन सर्टिफिकेशन वाले मुस्लिम निकायों की पहचान स्पष्ट नहीं है। ऐसे में हलाल मांस प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध लगाया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोई मान्यता प्राप्त प्राधिकरण नियुक्त करे। उन्होंने विधान परिषद के सभापति को पत्र लिखकर खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 में संशोधन के लिए विधेयक पेश करने की अनुमति मांगी है ताकि किसी भी निजी व्यक्ति या संगठन को खाद्य पदार्थों का प्रमाणन जारी करने से रोका जा सके।

राज्य के राजस्व में होगा पांच हजार करोड़ का फायदा

सीटी रवि ने दावा किया है कि अगर राज्य में हलाल मांस प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध लग जाए और सरकार कोई मान्यता प्राप्त प्राधिकरण को नियुक्त करे तो इससे अतिरिक्त राजस्व आय होगा। प्रस्तावित संशोधन से सरकार पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा लेकिन राज्य के खजाने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व यह संशोधन लाएगा।

दक्षिणपंथी संगठन भी हलाल मांस पर एकमत

हलाल मांस पर विवाद कर्नाटक में कुछ दिनों से चल रहा है। एक बीजेपी नेता ने इसे आर्थिक जिहाद करार दिया था। कई दक्षिणपंथी संगठनों ने नवरात्रि और उगादी त्योहारों के दौरान हलाल मांस परोसने वाले भोजनालयों के बहिष्कार का भी आह्वान किया था। दीवाली से पहले कुछ संगठनों ने केएफसी और मैकडॉनल्ड्स जैसे मल्टी नेशनल फूड चेन आउटलेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। इन लोगों ने मांग की थी कि गैर-मुसलमानों को हलाल प्रमाणित मांस नहीं परोसना चाहिए।

कांग्रेस ने बताया मुद्दों से ध्यान भटकाने वाला 

कांग्रेस ने दावा किया है कि हलाल पर प्रतिबंध बीजेपी सरकार के कुशासन और राज्य में वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए भाजपा की चाल है। कांग्रेस का कहना है कि राज्य में अगले साल चुनाव होने हैं तो बीजेपी के पास कोई काम गिनाने वाला मुद्दा नहीं है। इसलिए वह धार्मिक कट्टरता और उन्माद फैलाकर वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती। दरअसल, कर्नाटक में इस साल की शुरुआत में शैक्षिक संस्थानों में छात्राओं को हिजाब के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। राज्य सरकार के इस प्रतिबंध को हाईकोर्ट ने भी जारी रखा था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया लेकिन इससे पूरे राज्य में बवाल हुआ।

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