संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने अपने खाद्य कार्यक्रम में मोटे अनाजों (coarse cereals) के प्रोत्साहन को शामिल कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय कदन्न वर्ष (International Millet Year) भी घोषित किया है।
International Millet Year: भारत के राजनीतिक दिग्गज हस्तियों ने मंगलवार को मोटे अनाज का लुत्फ उठाया। संसद में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेता विपक्ष व कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तमाम दिग्गजों ने मोटे अनाज बाजरा से बनें व्यंजन को चखा। भारतीय मोटे अनाज को दुनिया भी पसंद करने लगी है। अपने देश में उपजाए जाने वाली मोटी फसलों में छिपी स्वास्थ्य खूबियों को जानकर दुनिया के तमाम देश इस ओर आकर्षित हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने अपने खाद्य कार्यक्रम में मोटे अनाजों (coarse cereals) के प्रोत्साहन को शामिल कर लिया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय कदन्न वर्ष (International Millet Year) भी घोषित किया है।
क्या होते हैं मोटे अनाज?
भारत में पहले कई प्रकार के अनाज उगाए जाते थे। इसमें मोटे अनाज भी शामिल थे जो देश की गरीब किसान या छोटे जोत वाले किसान उगाते थे। यह मोटे अनाज ज्वार, बाजरा, रागी, मड़ुवा, सावां, कोदों, कुटकी, कंगनी, चीना आदि हैं। लेकिन बाद के दिनों में दुनिया के तमाम शोध में यह तथ्य सामने आए कि ये सभी मोटे अनाज स्वास्थ्य की दृष्टि से बेहद लाभदायक हैं। यह पौष्टिकता से भरपूर हैं।
मोटे अनाजों को प्रोत्साहन
मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने के लिये कई कदम उठाये गये, जिनमें उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में पोषक अनाज को शामिल करना और कई राज्यों में कदन्न मिशन की स्थापना करना शामिल है। इसके बावजूद उत्पादन, वितरण और उपभोक्ताओं द्वारा मोटे अनाजों को अपनाने से जुड़ी कई चुनौतियां कायम हैं। नीति नियंताओं ने अब यह तय किया है कि ‘कैलरी सिद्धांत’ से हटाकर ज्यादा विविध खाद्यान्न नीति लागू की जाए जिसमें मोटे अनाज को शामिल किया जाये। जानकारों का मानना है कि इससे स्कूल जाने की आयु से छोटे बच्चों और प्रजनन-योग्य महिलाओं की पोषण स्थिति में सुधार लाया जा सकेगा। नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम का इरादा है कि इन चुनौतियों का समाधान व्यवस्थित और कारगर तरीके से किया जाये।
मोटे अनाज को मुख्यधारा में लाने पर ध्यान
नीति आयोग (NITI Aayog) ने संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (United Nations World Food Program) के साथ एक एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। इस साझेदारी के तहत मोटे अनाज को मुख्यधारा में लाने पर ध्यान दिया जायेगा और 2023 को इंटरनेशनल मिलेट ईयर होने के नाते इस अवसर पर भारत को ज्ञान के आदान-प्रदान के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करने में समर्थन दिया जायेगा। इसके अलावा, इस साझेदारी का लक्ष्य है छोटी जोत के किसानों के लिये सतत आजीविका के अवसर बनाना, जलवायु परिवर्तन को देखते हुये क्षमताओं को अपनाना और खाद्य प्रणाली में बदलाव लाना।
एमओयू के तहत नीति आयोग और विश्व खाद्य कार्यक्रम के बीच रणनीतिक तथा तकनीकी सहयोग पर ध्यान दिया जाना है, ताकि भारत में उन्नत खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिये जलवायु का सामना करने वाली कृषि को मजबूत किया जाये।
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