कर्नाटक में नई सरकार ने ली शपथ: कांग्रेस ने दिखाई ताकत, लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए उठाए कदम, 10 प्वाइंट्स में समझिए

Published : May 20, 2023, 03:48 PM IST
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सार

इस शपथ ग्रहण समारोह के माध्यम से कांग्रेस ने ताकत दिखाने के साथ जनता में यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह जो वादे कर रही है उसे पूरा करने में देर नहीं करेगी। इन दस प्वाइंट्स में जानिए पूरा डिटेल...

Karnataka new government oath: कर्नाटक में पूर्ण बहुमत वाला जनादेश मिलने के बाद कांग्रेस ने राज्य में सरकार बनाई है। शनिवार को बेंगलुरू में आयोजित भव्य समारोह में सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। डिप्टी सीएम के रूप में डीके शिवकुमार के अलावा 8 मंत्रियों ने भी पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है। शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल ने औपचारिक रूप से कार्यभार ग्रहण कर लिया। शपथ ग्रहण समारोह के गवाह लाखों लोग रहे जिसमें 15 हजार लोग सीधे तौर पर समारोह स्थल पर पहुंचे थे जबकि बाकी ऑनलाइन देखना पसंद किया। इस शपथ ग्रहण समारोह के माध्यम से कांग्रेस ने ताकत दिखाने के साथ जनता में यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह जो वादे कर रही है उसे पूरा करने में देर नहीं करेगी। इन दस प्वाइंट्स में जानिए पूरा डिटेल...

  1. दरअसल, कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार लगातार सीएम पद के लिए अड़े हुए थे। बाहर यह संदेश जा रहा था कि पार्टी में अलगाव और मतभेद चरम पर है। लेकिन शीर्ष नेतृत्व ने न केवल डीके शिवकुमार को मनाया बल्कि प्रतिद्वंद्वी सिद्धारमैया का डिप्टी बनने को राजी कर एकजुटता का साफ तौर पर संदेश दिया।
  2. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी बहन और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ कार्यक्रम में शामिल हुए। राहुल गांधी ने अपनी पार्टी द्वारा किए गए वादे को दोहराते हुए शपथ ग्रहण समारोह के मंच से यह ऐलान किया कि वह उन पांच गारंटियों को पूरा करेगी जो उसने वादा किया था। उन्होंने कहा कि कैबिनेट की पहली बैठक में फैसला लिया जाएगा, जो कुछ घंटों में होगी।
  3. राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस की जीत के बाद कई बातें लिखी गईं कि कांग्रेस ने यह चुनाव कैसे जीता, अलग-अलग विश्लेषण किए गए लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि कांग्रेस इसलिए जीती क्योंकि हम गरीबों, दलितों और आदिवासियों, पिछड़ों के साथ खड़े थे। हमारे पास सच्चाई थी, गरीब जनता साथ थी। भाजपा के पास पैसा था, पुलिस थी और सब कुछ था। लेकिन कर्नाटक के लोगों ने उनकी सारी शक्तियों को हरा दिया।
  4. शनिवार की सुबह कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंत्रिमंडल की लिस्ट फाइनल की जिसमें आठ विधायकों को मंत्री बनाए जाने का फैसला लिया गया था। समारोह में आठ नवनिर्वाचित विधायक - जी परमेश्वर, केएच मुनियप्पा, केजे जॉर्ज, एमबी पाटिल, सतीश जारकीहोली, प्रियांक खड़गे, रामलिंगा रेड्डी और बीजेड ज़मीर अहमद खान ने भी शपथ ली। जल्द ही इनके पोर्टफोलियो एलाट किए जाएंगे।
  5. शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस ने विपक्षी एकता का भी प्रदर्शन किया। शपथ समारोह में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, भाकपा के डी राजा, बिहार के मुख्यमंत्री और जद (यू) प्रमुख नीतीश कुमार, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, राकांपा के शरद पवार, जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित शीर्ष विपक्षी नेता बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (राजद), माकपा के सीताराम येचुरी और अभिनेता से नेता बने कमल हासन शामिल हुए। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को एकजुट करने का लगातार प्रयास हो रहा है।
  6. कांग्रेस शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री भी यहां मौजूद रहे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (छत्तीसगढ़), अशोक गहलोत (राजस्थान) और सुखविंदर सिंह सुक्खू (हिमाचल प्रदेश) समारोह में प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
  7. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनके दिल्ली के समकक्ष अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के के चंद्रशेखर राव, और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव मेगा इवेंट से अनुपस्थित थे।
  8. कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बेंगलुरु के कांटेरावा स्टेडियम में शपथ ग्रहण समारोह में निर्वाचित प्रतिनिधियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
  9. सिद्धारमैया 2013 से 2018 तक अपने पहले के पांच साल के कार्यकाल के बाद दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। 61 वर्षीय डीके शिवकुमार को उप मुख्यमंत्री पद का शपथ दिलाया गया है। हालांकि, वह प्रदेश अध्यक्ष भी बनें रहेंगे।
  10. 10 मई के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 135 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया था। 2018 के चुनावों में 80 की पिछली सीटों की तुलना में 55 सीटों की बढ़त के साथ कांग्रेस को पूर्ण जनादेश मिला। बीजेपी को 66 सीटों के साथ भारी झटका लगा। भाजपा को 104 की पिछली संख्या से 38 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। जनता दल (सेक्युलर) सिर्फ 19 सीटें हासिल कर सका। 2018 की 37 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार लगभग 50% सीटें हार गई।

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