कर्नाटक में राम मंदिर आंदोलन का केस फिर खुला, सैकड़ों कारसेवकों पर हिंसा और तोड़फोड़ का केस हुआ था 1992 में दर्ज

राम मंदिर आंदोलन 1992 में हुआ था। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

Dheerendra Gopal | Published : Jan 1, 2024 1:16 PM IST / Updated: Jan 01 2024, 06:58 PM IST

Ram Mandir Andolan: कर्नाटक में राम मंदिर आंदोलन से जुड़े एक्टिविस्टों के पुराने के केसों की फाइल खोली जा रही है। पुलिस उन मामलों की जांच में तेजी कर दी है। आंदोलन के दौरान सैकड़ों आंदोलनकारियों के खिलाफ प्रॉपर्टी के तोड़फोड़ वह हिंसा फैलाने का आरोप है। राम मंदिर आंदोलन 1992 में हुआ था। उधर, 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भव्य राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

1992 के आंदोलन में केसों की लिस्टिंग

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राज्य पुलिस की एक स्पेशल टीम का गठन किया गया है। यह टीम 1992 में राम मंदिर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए केसों की लिस्टिंग की जा रही है। दरअसल, हुबली पुलिस ने राममंदिर आंदोलन से जुड़े एक पुराने केस में पहली गिरफ्तारी की है। 5 दिसंबर 1992 को एक अल्पसंख्यक के स्वामित्व वाली दुकान को जलाने के मामले में आरोपी श्रीकांत पुजारी को गिरफ्तार किया गया। केस में पुजारी तीसरा आरोपी है। इस मामले में आठ अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। पुजारी को न्यायिक हिरासत में भेजा गया। हुबली पुलिस ने 300 आरोपियों की एक सूची तैयार की, जो कथित तौर पर 1992 और 1996 के बीच हुई सांप्रदायिक झड़पों में वांटेड हैं।

कई शहर छोड़ चुके तो कई बड़े पदों पर

पुलिस सूत्रों की मानें तो तमाम आरोपियों की उम्र वर्तमान में 70 साल से अधिक हो चुकी है, तमाम एक शहर से दूसरे शहर में जा चुके हैं तो बड़े और महत्वपूर्ण पदों पर हैं। राम जन्म भूमि आंदोलन में कई लोग अब प्रमुख भाजपा नेता हैं। हालांकि, बीजेपी के सत्ता में रहने के दौरान प्रमुख नेताओं के केस हटा दिए गए थे लेकिन अन्य का केस अभी दर्ज ही था।

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के केस नहीं हटाए जाने के बाद अब हिंदू संगठनों में रोष है। माना जा रहा है कि यह राज्य में एक विवाद का कारण बन सकता है।

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