Karnataka के 35 हजार मंदिरों के पास है संपत्ति, सिर्फ चार का प्रबंधन देता है आमदनी और खर्च का हिसाब

कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने राज्य के मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने की बात कहकर एक नई बहस शुरू कर दी है। कर्नाटक के 35 हजार से अधिक मंदिरों के पास अपनी संपत्ति है। कई मंदिरों की संपत्तियां खो गई हैं। 

Vivek Kumar | Published : Dec 31, 2021 2:48 AM IST

बेंगलुरू। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने राज्य के मंदिरों को सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने की बात कहकर एक नई बहस शुरू कर दी है। विपक्ष का कहना है कि सरकार मंदिरों को संघ परिवार को सौपना चाहती है। राज्य के मंदिरों की आमदनी करोड़ों में है। मंदिरों को होने वाली आमदनी और उसके खर्च को लेकर पहले भी बहस होती रही है। 

राज्य सरकार मंदिरों के प्रबंधन से आमदनी और खर्च में पारदर्शिता लाने को कहती रही है और ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी जाती रही है। मंदिरों के मामलों को देखने वाली कर्नाटक सरकार की मुजराई विभाग की मंत्री शशिकला जोले ने पिछले दिनों एक सर्कुलर जारी कर सहायक आयुक्त को सप्ताह में कम से कम तीन मंदिरों का दौरा करने और खातों का सत्यापन कर रिपोर्ट जमा करने को कहा था।

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कर्नाटक के 35 हजार मंदिरों के पास है संपत्ति
गौरतलब है कि कर्नाटक के 35 हजार से अधिक मंदिरों के पास अपनी संपत्ति है। कई मंदिरों की संपत्तियां खो गई हैं। मंदिर के अधिकारियों ने मंदिरों के परिसर और संपत्तियों पर व्यावसायिक परिसरों और दुकानों का निर्माण किया है। कर्नाटक में मंदिरों को आमदनी के अनुसार तीन श्रेणी में बांटा गया है। ग्रेड ए में 207 ऐसे मंदिर हैं, जिनकी वार्षिक आय 25 लाख रुपये से अधिक है। 

ग्रेड बी में 139 मंदिर हैं, जिनकी आय 5 लाख रुपये से 24.99 लाख रुपये के बीच है। ग्रेड सी में 5 लाख रुपये से कम आय वाले मंदिरों को रखा गया है। कानून के अनुसार ग्रेड ए और बी के मंदिरों के प्रबंधन को हर साल कानून के मुताबिक आमदनी और खर्च का हिसाब जमा करना होता है। कर्नाटक के केवल चार मंदिर (मैसूर का चामुंडेश्वरी मंदिर, येदियुर सिद्धलिंगेश्वर मंदिर, घाटी सुब्रमण्य मंदिर और बेंगलुरु का बनशंकरी मंदिर) हर साल ऑडिट रिपोर्ट जमा कर रहे हैं। 

कर्नाटक के प्रसिद्ध मंदिर
 

उडुपी श्रीकृष्ण मंदिर: यह प्रसिद्ध हिंदू मंदिर कर्नाटक के उडुपी शहर में स्थित है। मंदिर भगवान कृष्ण और द्वैत मठ को समर्पित है। इसे दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख तथा प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। 

महाबलेश्वर मंदिर: श्री महाबलेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण हिंदू धार्मिक स्थलों में से एक है। इसे दक्षिण काशी भी कहा जाता है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में हर साल लाखों भक्तगण दर्शन करने आते हैं।

मुरुदेश्वरा मंदिर: मुरुदेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मुरुदेश्वर भगवान शिव के रूपों में से एक हैं। यह मंदिर कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित है। मंदिर कंडुका की पहाड़ी पर बना है। यह पहाड़ी तीन ओर से अरब सागर से घिरा हुआ है।

दुर्गापारमेश्वरी मंदिर: नंदिनी नदी के तट पर स्थित इस मंदिर को भारत के सबसे पवित्र हिन्दू मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर दुर्गा मां को समर्पित है।

श्री विरुपाक्षेश्वरा मंदिर: श्री विरुपाक्षेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। कर्नाटक के हम्पी में स्थित इस मंदिर में गर्भगृह,  पूर्व कक्ष, स्तंभित हॉल और एक खुला स्तंभ हॉल है। इस मंदिर को नाजुक नक्काशीदार खंभों से सजाया गया है। इस मंदिर के चारों ओर एक स्तंभ, प्रवेश द्वार, आंगन, छोटे मंदिर और अन्य संरचनाएं हैं।

अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर: अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर भारत के प्राचीन मंदिरों में से है। यह भद्रा नदी के तट पर स्थित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस मंदिर को ऋषि अगस्त्य ने बनाया था। मंदिर में स्थायी मुद्रा में देवी की खूबसूरत प्रतिमा है।

सुब्रमण्य मंदिर: सुब्रमण्य मंदिर दक्षिण कन्नड़ जिले कर्नाटक के कदबा तालुक के सुब्रमण्य गांव में स्थित है। यहां पर सुब्रमण्या स्वामी की पूजा होती हैं, जिन्हे नागों का देवता माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन करने से पहले श्रद्धालुओं को कुमारधारा नदी के पवित्र जल में स्नान करना पड़ता है।

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