जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू (Hindu) और सिख समुदाय (Sikh community) के लोगों की सिलेसिलेवार निर्मम हत्याओं की गूंज शनिवार को दिल्ली में जोरदार तरीके से सुनने को मिली। यहां जंतर-मंतर पर बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित और अन्य समाज के लोगों ने प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि कश्मीर में अल्पसंख्यक समाज को टारगेट (Target) बनाकर हत्याएं (Murder) की जा रही हैं।
नई दिल्ली। घाटी में आतंकी हमलों (Terrorist Attack Jammu and Kashmir) से कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandit) में आक्रोश है। वे सरकार से सुरक्षा (Protection from Government) की मांग कर रहे हैं। शनिवार को गुस्साए कश्मीरी पंडितों और अन्य समाज के लोगों ने दिल्ली (Delhi) के जंतर-मंतर (Jantar Mantar) पर विरोध प्रदर्शन (Protest)किया। उनका कहना था कि कश्मीर में अल्पसंख्यक समाज (Minority Society) को टारगेट बनाकर हत्याएं की जा रही हैं। एक प्रदर्शनकारी का कहना था कि कश्मीर में पंडितों का नरसंहार 1990 के बाद से नहीं रुका है। पंडितों के लिए एक अलग केंद्र शासित प्रदेश (Union Territory) बनाया जाना चाहिए। उधर, शनिवार को दक्षिणी कश्मीर में कुलगाम (Kulgam) के मंजगाम इलाके में आतंकियों ने हमला किया। दहशतगर्दों ने पुलिस की नाका पार्टी को निशाना बनाया। इस हमले में दो जवान जख्मी हो गए हैं, जिन्हें उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना के बाद सुरक्षाबल अलर्ट हो गए और हमलावरों की तलाश में घेराबंदी शुरू कर दी है।
दिल्ली में प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी पर राजनीति करने वाले लोग एक बार कश्मीर भी जाएं और वहां के लोगों की आवाज भी सरकार तक पहुंचाने काम करें, लेकिन राजनीति दलों को वहां जाने से डर लगता है, कही आतंकी उन्हें भी अपना शिकार ना बना लें। उनका कहना था कि धर्म पूछकर गोली मारने वाले लोगों का अपना कोई धर्म नहीं है। वह सिर्फ आतंकी हैं। ऐसे लोगों को मुठभेड़ कर मार गिराना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 23 दिनों में सात लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं।
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कश्मीरी पंडितों का 32 साल से स्थाई पता नहीं बन सका
कश्मीरी पंडित समिति के पदाधिकारियों का कहना था कि अब उनका संगठन आवाज उठाएगा और सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करेगा, ताकि सरकार जागरूक हो और आठवीं हत्या होने से बच जाए। स्थानीय लोगों में भयानक भय है। लोग घरों में कैद होकर रहने के लिए मजबूर हैं। महिलाएं सुरक्षित नहीं है। अब दिल्ली से कश्मीर जाने में भी डर लग रहा है। 32 साल से कश्मीरी पंडितों का स्थायी पता नहीं बन सका है। अगर ऐसा ही रहा तो बचे हुए लोग भी कश्मीर को छोड़कर चले जाएंगे।
दो दिन पहले CRPF कैंप के बाहर ग्रेनेड से हमला हुआ था
इससे पहले 7 अक्टूबर की देर शाम श्रीनगर के सफाकदल इलाके में आतंकियों ने ग्रेनेड हमला किया था। ये हमला बारीपोरा ईदगाह इलाके में सीआरपीएफ कैंप के बाहर हुआ था। हालांकि, हमले में किसी भी तरह का नुकसान नहीं हो पाया था। हमलावरों की तलाश में इलाके की घेराबंदी कर अभियान चलाया गया। बताया जा रहा है कि आतंकी संगठनों ने एक हिटलिस्ट बनाई है, जिसमें घाटी के 90 से ज्यादा लोग हैं। आतंकियों की हिटलिस्ट में कुछ पत्रकार भी शामिल हैं। कश्मीरी पंडित समुदाय की सबसे बड़ी संस्था पनुन कश्मीर के अध्यक्ष वीरेंद्र रैना ने कहा कि गैर मुस्लिमों पर हमले 1990 के उस दौर की याद दिलाता है जहां निहत्थे लोगों को उनके धर्म के आधार पर मारा जाता था। यही वजह कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का कारण बनी थी। उन्होंने कहा कि सरकार को पंडितों की सुरक्षा के लिए सुनिश्चित व्यवस्था करनी होगी।
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लश्कर-ए-तैयबा के एक आतंकी मारा गया था
श्रीनगर शहर में अल्पसंख्यक समुदाय के दो शिक्षकों की हत्या के बाद शुक्रवार देर शाम नटिपोरा इलाके में मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी आकिब को सुरक्षाबलों ने मार गिराया था। शोपियां के ट्रेंज गांव निवासी आकिब नवंबर 2020 से सक्रिय था। उसके पास से एक एके 47 राइफल, दो मैगजीन और फलों से भरा एक पिट्ठू बैग बरामद किया गया। हालांकि, एक अन्य आतंकी मौके से भाग निकला। नटिपोरा इलाका रात में फायरिंग से दहल गया। यहां करीब 15 मिनट तक गोलीबारी होती रही। मार्केट बंद हो गया और इलाके में सन्नाटा पसर गया।