जम्मू-कश्मीर: बौखलाए आतंकियों ने पत्रकारों के बाद 56 सरकारी कर्मचारी कश्मीरी पंडितों की एक हिट लिस्ट बनाई

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से आतंकवादी संगठन बौखलाए हुए हैं। वहीं, सुरक्षाबलों द्वारा लगातार एनकाउंटर से भी आतंकियों के पैर उखड़न लगे हैं। नतीजा, अब वे लोगों को धमका रहे हैं। कुछ स्थानीय पत्रकारों को आतंकवादी संगठनों से ऑनलाइन धमकी मिलने के बाद अब कश्मीरी पंडितों को लेकर यह मामला सामने आया है। 

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद से आतंकवादी संगठन बौखलाए हुए हैं। वहीं, सुरक्षाबलों द्वारा लगातार एनकाउंटर से भी आतंकियों के पैर उखड़न लगे हैं। नतीजा, अब वे लोगों को धमका रहे हैं। कुछ स्थानीय पत्रकारों को आतंकवादी संगठनों से ऑनलाइन धमकी मिलने के बाद अब कश्मीरी पंडितों को लेकर यह मामला सामने आया है। पढ़िए पूरी डिटेल्स...


सरकारी सेवा में कार्यरत 56 कश्मीरी पंडितों की एक हिट लिस्ट आतंकवादियों द्वारा जारी किए जाने के बाद कश्मीर घाटी में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। यह सूची द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा जारी की गई थी, जो लश्कर-ए-तैयबा से संबद्ध पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन है। कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों और गैर-कश्मीरी प्रवासी श्रमिकों की टार्गेट किलिंग के पीछे इसी का हाथ रहा है। विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों ने कहा कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने जम्मू ट्रांसफर करने की मांग की है। एक कश्मीरी पंडित ने विरोध स्थल पर कहा, "सरकार को आतंकवादियों द्वारा जारी की गई हिट-लिस्ट को गंभीरता से लेना चाहिए। हम हर मिनट खतरे में रह रहे हैं। हम कश्मीर में आतंकी खतरे के साये में काम नहीं कर सकते।" एक अन्य प्रदर्शनकारी ने कहा-"ऐसे माहौल में काम करना हमारे लिए मुश्किल और जोखिम भरा दोनों है। सरकार को हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। " 

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सरकारी कर्मचारियों को धमकी भरे पत्र नियमित रूप से आ रहे हैं। जिन कर्मचारियों को प्रधान मंत्री के पुनर्वास पैकेज(under the Prime Minister's rehabilitation package) के तहत नौकरी मिली है, वे हिंदू हिट लिस्ट में हैं। बार-बार ऐसी चेतावनी जारी करने के बाद आतंकवादियों ने हमला किया है। फिर भी सरकार नींद में है और हमारे अनुरोध (जम्मू स्थानांतरण) पर विचार करने से इंकार कर रही है।


इस बीच, इस बात पर सवाल उठ रहे हैं कि घाटी में सरकारी सेवा में कार्यरत कश्मीरी पंडितों की लिस्ट  आतंकवादी संगठनों तक कैसे पहुंची? रिपोर्टों के अनुसार, आतंकवादियों को लीक की गई लिस्ट मूल रूप से स्कूल एजुकेशन डायरेक्ट्रेट द्वारा कर्मचारियों को जारी किया गया ट्रांसफर ऑर्डर था। गौरतलब है कि करीब 6000 कश्मीरी पंडित कश्मीर में प्रशासन के लिए काम करते हैं। पहले से ही प्रवासी कश्मीरी पंडित ऑल माइग्रेंट्स एम्प्लॉइज एसोसिएशन, कश्मीर के बैनर तले जम्मू में विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं। वे सुरक्षा कारणों से कश्मीर से जम्मू में अपने स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं।


जम्मू में पीएम पैकेज कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रवासी कश्मीरी पंडित ऑल माइग्रेंट्स एम्प्लॉइज एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा कि जब राहुल भट की हत्या हुई थी, तब सरकार ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, लेकिन इसकी रिपोर्ट अभी भी नहीं आई है। यह सरकार और सुरक्षा बलों पर निर्भर है कि वे कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और साथ ही खतरे के पीछे लोगों का पर्दाफाश करने के लिए जांच करें। बता दें कि विशेष रूप से आतंकवादी समूह ने पीएम पैकेज के कर्मचारियों की एक लिस्ट जारी की है, जिसमें उन्हें प्रवासी कश्मीरी पंडित और अन्य को गैर-स्थानीय बताया है, जबकि नौकरियों और फ्लैटों का हवाला देते हुए स्थानों की संख्या का खुलासा किया है।

फोटो क्रेडिट-greaterkashmir

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