इस अनुष्ठान में ब्राह्मणों के पैर धोने या तो तंत्री (मुख्य पुजारी) या किसी अन्य पुजारी द्वारा उनके आगमन पर उन्हें खिलाना और फिर उनके जाने पर शॉल और दक्षिणा भेंट करना शामिल था। इस अनुष्ठान के बाद यहां मामला तूल पकड़ा गया। स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस मामले के बाद कोचीन देवस्वम बोर्ड के अध्यक्ष और मंत्री के राधाकृष्ण ने मामले की रिपोर्ट मांगी।
त्रिशूर। केरल हाईकोर्ट (Kerala high court) ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, कोचीन देवस्वम बोर्ड के एमजीएमटी के तहत श्री पूर्णनाथरायसा मंदिर, त्रिपुनिथुरा में 'पंथरंडु नमस्कारम' के हिस्से के रूप में भक्तों को प्रायश्चित के रूप में 12 ब्राह्मणों के पैर धोने के लिए कहा जाता है।
मामले की सुनवाई के बीच कोचीन देवस्वम बोर्ड के स्थायी वकील ने कहा कि भक्त ब्राह्मणों के पैर धोने के लिए नहीं बने हैं, जैसा कि समाचार रिपोर्ट में कहा गया है। यह 'तंत्री' है जो 12 पुजारियों (पुजारियों) के पैर धोता है। मंदिर के वकील ने 'पंथरंदु नमस्कारम' के संबंध में कोर्ट को यह जानकारी दी।
25 फरवरी तक हलफनामा दाखिल करे बोर्ड
कोचीन देवस्वम बोर्ड के स्थायी वकील ने इस पर एक हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा और अदालत ने इसे मंजूर कर लिया। कोर्ट इस मामले पर 25 फरवरी को फिर से विचार करेगी। गौरतलब है कि इस अनुष्ठान में ब्राह्मणों के पैर धोने या तो तंत्री (मुख्य पुजारी) या किसी अन्य पुजारी द्वारा उनके आगमन पर उन्हें खिलाना और फिर उनके जाने पर शॉल और "दक्षिणा" भेंट करना शामिल था।
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देवस्वम बोर्ड के अध्यक्ष ने मांगी रिपोर्ट
इस अनुष्ठान के बाद यहां मामला तूल पकड़ा गया। स्थानीय मीडिया में आई खबरों के मुताबिक इस मामले के बाद कोचीन देवस्वम बोर्ड के अध्यक्ष और मंत्री के राधाकृष्ण ने मामले की रिपोर्ट मांगी। उन्होंने कहा कि इस तरह के अनुष्ठानों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। इसमें कहा गया कि यह तंत्री या पुजारी द्वारा किया जाता है और भक्तों को इसे करने की अनुमति नहीं है। यह वर्षों से प्रचलन में है और मेहमानों का स्वागत करने की हमारी परंपरा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है, जिस तरह दूल्हे के पैर धोने की रस्म है।
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एक अन्य मंदिर द्वारा ऐसे अनुष्ठान के चलते हुआ विवाद
नंदकुमार ने कहा कि कोडुंगलूर में बोर्ड के तहत एक और मंदिर में इस अनुष्ठान के बाद विवाद खड़ा हुआ। उन्होंने कहा कि मंदिर ने बोर्ड से परामर्श किए बिना इसे भक्तों के लिए खोलकर अनुष्ठान को लोकप्रिय बनाने की कोशिश की, जिसके बाद यह विवाद खड़ा हो गया। उन्होंने कहा कि इस तरह की समस्या सामने सामने आने के बाद इस अनुष्ठान को कम किया गया है।
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केरल में पहले भी हिंदू मंदिरों पर विवाद
2020 में केरल के कुट्टमक्कु महादेवा मंदिर में ब्राह्मणों के टॉयलेट में अलग से बोर्ड लगा होने का मामला तूल पकड़ा था। बताया जाता है कि यह बोर्ड वहां 25 साल से लगा था लेकिन अचानक इस मामले को तूल दिया गया। बाद में यह बोर्ड हटा दिया गया। मंदिर बोर्ड ने कहा था कि मंदिर की छवि धूमिल करने के उद्देश्य से इस बोर्ड का मामला उछाला गया था।