केरल की नर्स निमिषा प्रिया, यमन में हत्या के मामले में मौत की सजा का सामना कर रही हैं। 17 सालों से चले आ रहे इस केस में कई मोड़ आए हैं। क्या उन्हें न्याय मिलेगा?
Nimisha Priya Case Timeline: यमन की राजधानी सना की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया को 16 जुलाई 2025 को मौत की सजा दी जानी थी, लेकिन राहत की बात है कि इसे टाल दिया गया है। निमिषा को यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में सजा मिली थी। रिपोर्ट्स के अनुसार अभी मृतक के परिवार को कम से कम एक दिन के लिए सजा टालने के लिए मना लिया गया है। आइए जानते हैं बीते 17 साल में निमिषा प्रिया के साथ क्या-क्या हुआ।
निमिषा प्रिया मामले की टाइम लाइन
1989: केरल के पलक्कड़ में निमिषा प्रिया का जन्म हुआ था।
2008: निमिषा नर्स के रूप में काम करने के लिए यमन गईं।
2014: निमिषा ने यमन में सरकारी नौकरी छोड़ दी और यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ साझेदारी में एक निजी क्लिनिक खोला। यमन के कानून के अनुसार अस्पताल खोलने के लिए स्थानीय नागरिक के साथ साझेदारी जरूरी है। यह निमिषा की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। वह महदी के चंगुल में फंस गई।
2015: निमिषा ने यमन के सना में अल अमन मेडिकल क्लिनिक खोला। इसमें महदी व्यापारिक साझेदार था।
मार्च 2015: यमन में गृहयुद्ध छिड़ गया। इससे स्थानीय हालात बिगड़ गए।
2016: प्रिया ने महदी के खिलाफ दुर्व्यवहार और उसके दस्तावेज जब्त करने की शिकायत की, लेकिन पुलिस से मदद नहीं मिली।
जुलाई 2017: महदी से अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए प्रिया ने उसे बेहोश करना चाहा। इसके लिए केटामाइन दी, लेकिन डोज अधिक होने से महदी की मौत हो गई। इसके बाद प्रिया ने शव के टुकड़े कर छिपा दिया।
अगस्त 2017: प्रिया को भागने की कोशिश करते समय यमन-सऊदी अरब सीमा पर गिरफ्तार कर लिया गया।
2018: प्रिया के खिलाफ हत्या के आरोप में मुकदमा चला। उसे दोषी करार दिया गया और मौत की सजा सुनाई गई। उसे मुकदमे के दौरान उचित कानूनी मदद नहीं मिली। प्रिया को सना के जेल में बंद कर दिया गया।
2020: दूसरे मामले में भी प्रिया को सजा सुनाई गई। परिवार और समर्थकों ने उसकी रिहाई के लिए अभियान चलाने के लिए सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल का गठन किया।
नवंबर 2023: यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने प्रिया की अपील खारिज कर दी।
अप्रैल 2024: प्रिया के परिवार के लोग महदी के परिवार के साथ संभावित क्षमादान पर बातचीत करने के लिए यमन गए।
जून 2024: परिवार और समर्थकों ने 40,000 डॉलर (34.32 लाख रुपए) जुटाए। पीड़ित परिवार के साथ ब्लड मनी समझौते पर बातचीत की कोशिश हुई, लेकिन यह रुक गई।