Nimisha Priya: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को मिलने जा रही मौत की सजा तत्काल स्थगित हो गई है। उन्हें यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में यह सजा मिली है। भारत सरकार उन्हें बचाने की कोशिश में जुटी है।
Kerala nurse Nimisha Priya: 16 जुलाई को केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में मौत की सजा दी जानी थी। राहत की बात है कि इसे स्थगित कर दिया गया है। भारत सरकार निमिषा को मिलने जा रही सजा रुकवाने की कोशिश में जुटी है।
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया मूल रूप से केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोडे की रहने वाली हैं। उनकी उम्र 37 साल है। निमिषा को 2017 में एक यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। वह काम की तलाश में यमन गईं थीं। एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में यमन की राजधानी सना की जेल में पहुंच गईं। यमन में ईरान समर्थित हूती सत्ता में हैं। इनके साथ भारत के औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं।
यमन के तलाल अब्दो महदी के चंगुल में फंस गईं थीं निमिषा प्रिया
निमिषा प्रिया 2011 में सना में नर्स के रूप में काम करने के लिए यमन गईं थीं। 2014 में आर्थिक तंगी और यमन की बिगड़ती स्थिति के चलते उनके पति और बेटी भारत लौट आए। निमिषा नहीं लौटी। उन्होंने यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला।
प्रिया के अनुसार, महदी ने उनके साथ शादी का दावा करने के लिए जाली दस्तावेज बनाए। उसने वर्षों तक उनका शारीरिक शोषण किया। उसके पैसे ले लिए और धमकियां दीं। महदी ने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया था। उसे ड्रग्स दिया। निमिषा ने अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार की शिकायत की तो स्थानीय अधिकारियों ने उसे सुरक्षा देने की जगह गिरफ्तार कर लिया।
निमिषा प्रिया के हाथों कैसे हुई तलाल अब्दो महदी की हत्या?
तलाल अब्दो महदी ने निमिषा प्रिया का पासपोर्ट जब्त कर रखा था, जिसके चलते वह भारत नहीं आ सकती थी। तंग आकर निमिषा ने भारत लौटने के लिए महदी को बेहोश करने और पासपोर्ट लेने की योजना बनाई। घटना 2017 की है। निमिषा ने महदी को बेहोशी की दवा वाला इंजेक्शन लगाया, लेकिन दवा का डोज अधिक हो गया। इससे महदी की मौत हो गई। रिपोर्ट्स के अनुसार हनान नाम की एक स्थानीय महिला की मदद से प्रिया ने शव के टुकड़े-टुकड़े करके उसे पानी की टंकी में फेंक दिया।
यमन की कोर्ट ने निमिषा प्रिया को दी तीन बार मौत की सजा
निमिषा प्रिया को हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया। उसपर मुकदमा चलाया गया था। 2020 में एक स्थानीय कोर्ट ने उन्हें तीन बार मौत की सजा सुनाई। एक अपील कोर्ट ने एक सजा को रद्द कर दिया। यमन के सुप्रीम कोर्ट ने मौत की दो सजा को बरकरार रखा। यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने 2024 में उनकी मौत की सजा को मंजूरी दी।
