Nimisha Priya death penalty: यमन में फांसी की सजा झेल रहीं भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए उनके परिवार ने मृत यमनी नागरिक के परिवार को 1 मिलियन डॉलर (₹8.6 करोड़) ब्लड मनी के तौर पर देने की पेशकश की है।
Nimisha Priya death penalty: यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी अब कुछ ही दिनों की दूरी पर है। 16 जुलाई को उनकी सजा तय है लेकिन उन्हें बचाने की मृत यमनी नागरिक के परिवार की माफ़ी की एक आखिरी उम्मीद अब भी बाकी है। इसी दिशा में निमिषा के परिवार ने उन्हें 1 मिलियन डॉलर (करीब ₹8.6 करोड़) की ब्लड मनी (Diya) की पेशकश की है। यह रकम उस यमनी व्यक्ति के परिवार को दी जाएगी जिसे मारने के आरोप में निमिषा को सजा मिली है।
निमिषा प्रिया का क्या है पूरा मामला?
केरल की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया 2008 में यमन गई थीं ताकि अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहारा दे सकें। उन्होंने पहले कई अस्पतालों में काम किया और फिर एक स्थानीय यमनी नागरिक तालाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया। यमन के कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों को व्यवसाय चलाने के लिए किसी स्थानीय साझेदार की ज़रूरत होती है। लेकिन यह साझेदारी जल्द ही प्रताड़ना में बदल गई। मेहदी ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया और उन्हें लगातार मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान करने लगा। 2017 में, निमिषा ने उसे नींद की दवा का इंजेक्शन दिया ताकि वह उसके पासपोर्ट को वापस ले सके लेकिन दवा के प्रभाव से मेहदी की मौत हो गई। निमिषा को देश छोड़ते वक्त गिरफ्तार कर लिया गया।
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निमिषा प्रिया को बचाने के लिए क्या हो सकता?
'Save Nimisha Priya International Action Council' से जुड़े एक्टिविस्ट बाबू जॉन ने बताया कि निमिषा की मां एक साल से यमन में हैं और परिवार की ओर से अधिकृत सैमुएल जेरोम वर्तमान में सना (Sana'a) में मृतक के परिवार के साथ बातचीत कर रहे हैं। बाबू जॉन ने बताया कि हमने 1 मिलियन डॉलर की पेशकश की है लेकिन अब तक परिवार ने 'हां' या 'ना' नहीं कहा है। यदि वे तैयार होते हैं तो हम फंड इकट्ठा कर उन्हें सौंप देंगे और वे अगर माफ़ कर दें तो निमिषा की फांसी टल सकती है।
क्या है यमनी कानून में 'ब्लड मनी' का स्थान?
यमन में शरिया कानून लागू है। वहां 'क़िसास' (Qisas) का सिद्धांत चलता है यानी'जैसे को तैसा', यानी हत्या के मामले में मौत की सज़ा। लेकिन अगर मृतक का परिवार चाहे तो 'दीया' (Diya) या ब्लड मनी लेकर माफ़ी दे सकता है और फांसी रद्द हो सकती है। यहां तक कि फांसी से एक घंटे पहले भी माफ़ी दी जा सकती है।
कैसे मदद कर रही हैं जेल में?
जेल में निमिषा मेडिकल स्टाफ के रूप में अन्य कैदियों की मदद कर रही हैं। जेल प्रशासन उनकी सराहना करता है और इसलिए उन्हें कभी-कभी मोबाइल फोन तक की सुविधा मिल जाती है। बाबू जॉन बताते हैं कि उन्होंने शुक्रवार सुबह ही निमिषा से WhatsApp कॉल पर बात की। बाबू जॉन ने बताया कि निमिषा ने स्वीकार किया है कि उनसे गलती हुई। वे भारतीय सरकार से निवेदन कर रही हैं कि वे हस्तक्षेप करें। यमन में गृहयुद्ध और भारत-हूती समूह के बीच कूटनीतिक संबंध न होने के कारण मुश्किलें हैं लेकिन अब भी समय है।
भारत सरकार अगर बात करें तो बदल सकती है स्थिति
भारत सरकार ने निमिषा के लिए एक यमनी वकील की नियुक्ति की थी लेकिन सुप्रीम जुडिशियल काउंसिल ने नवंबर 2023 में उनकी फांसी की सजा को बरकरार रखा। यमन के राष्ट्रपति ने भी इसे मंजूरी दी। एक्टिविस्ट का कहना है कि भारत एक महाशक्ति है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस क्षेत्र में सम्मान है। अगर वे हाउती सरकार से बातचीत करें तो शायद स्थिति बदल सकती है।
