'ओनाविलू' क्या होता है? पद्मनाभ स्वामी मंदिर अयोध्या के राम मंदिर भेज रहा यह विशेष उपहार

केरल के प्रसिद्ध पद्मनाभस्वामी मंदिर की तरफ से अयोध्या राम मंदिर को ओनाविलू गिफ्ट किया जाएगा। 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाना है।

 

Ram Mandir Ayodhya. अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का तैयारियों जोरों से की जा रही हैं। इससे पहले वैदिक अनुष्ठान जारी है। राम लला को राम मंदिर परिसर पहुंचा दिया गया है और गुरूवार को मूर्ति गर्भ गृह में स्थापित कर दिया जाएगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर केरल के तिरूवनंतपुर स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर की तरफ से अयोध्या के राम मंदिर को एक विशेष उपहार भेजा जाएगा। यह पारंपरिक और पौराणिक महत्व का उपहार है, जो राम मंदिर को गिफ्ट किया जाना है।

प्राचीन परंपरा के तहत दिया जाएगा भेंट

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केरल के तिरुवनंतपुरम में प्रसिद्ध श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर द्वारा गुरुवार (18 जनवरी) को अयोध्या में राम मंदिर के लिए पारंपरिक धनुष यानि 'ओनाविलु' उपहार के रूप में दिया जाएगा। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि 18 जनवरी को मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार पर आयोजित कार्यक्रम में मंदिर तंत्री और इसके प्रशासनिक पैनल के सदस्य 'ओनाविलू' को श्री राम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रतिनिधियों को सौंपेंगे। यह तीन शताब्दी पुरानी प्रथा है जिसके तहत ओनाविलू भगवान श्री पद्मनाभ को दी जाने वाली औपचारिक भेंट है। हर साल थिरु ओणम के शुभ दिन पर यहां के पारंपरिक परिवार के सदस्य भगवान पद्मनाभ मंदिर में यह रचनात्मक भेंट चढ़ाते हैं। 'ओनाविल्लू' को कोच्चि से फ्लाइट से अयोध्या ले जाया जाएगा।

क्या होता है ओनाविलू

मंदिर के अधिकारी 18 जनवरी को भक्तों को मंदिर परिसर में दिव्य धनुष की एक झलक देखने की अनुमति देंगे। विलू भक्तों द्वारा पूजनीय होता है। यह आम तौर पर धनुष के आकार में एक लकड़ी का पैनल होता है, जिसके दोनों तरफ विभिन्न विषयों जैसे अनंतशयनम, दशावतारम, भगवान विष्णु के अवतार, श्रीराम पट्टाभिषेकम और राज्याभिषेक को दर्शाने वाले चित्र बने होते हैं। इसके माध्यम से भगवान राम को राजा के रूप में देखना परम सौभाग्य होता है। अयोध्या में इस समय उत्साह और भक्ति का माहौल है क्योंकि राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पवित्र अनुष्ठान किया जा रहा है। प्रायश्चित और कर्मकुटी पूजन से शुरू होकर यह विस्तृत समारोह बुधवार को 'परिसर प्रवेश' में तब्दील हुआ। वहीं 22 जनवरी को तीर्थ पूजन, जल यात्रा और गंधाधिवास जैसे अनुष्ठान होंगे।

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